मुरादाबाद: मुरादाबाद मंडल के पांच जिलों में 300 लकड़ी कारोबारी राज्यकर की जांच एजेंसी के रडार पर आ गए हैं। ये कारोबारी बोगस फर्मों से खरीददारी करते हैं। राज्यकर अपर आयुक्त का मानना है कि जांच के कारण अभी 50 प्रतिशत सुधार आया है। राज्य कर विभाग के अधिकारियों का मानना है कि मंडल में एक हजार से अधिक लकड़ी कारोबारी हैं। ये उत्तराखंड और दिल्ली से काफी मात्रा में कारोबार करते हैं। राज्यकर की टीमों ने अप्रैल 2023 से अप्रैल 2024 तक 170 गाड़ियां जीएसटी चोरी के आरोप में पकड़ी थी।
इसके बाद जीएसटी चोरी के बड़े रैकेट का अंदेशा होने लगा। इस मामले में अपर आयुक्त आरए सेठ ने लकड़ी की फर्मों की जांच कराना शुरू किया। एसआईबी की जांच में मुरादाबाद की 50, रामपुर जिले की 225, संभल और बिजनौर की 25-25 फर्म संदेह के दायरे में पाए गए।
इनमें 275 फर्म सेंट्रल जीएसटी और अन्य राज्य जीएसटी की शामिल हैं। अपर आयुक्त ने गड़बड़ी के बारे में सेंट्रल जीएसटी के अधिकारियों को भी अवगत कराया है। बताया गया कि ये लकड़ी की फर्में बोगस खरीदारी कर जीएसटी चोरी करती हैं। साथ ही फर्जी आईटीसी दाखिल कर सरकार से पैसा वसूलती हैं। जांच में अभी और नए नए मामले सामने आएंगे। अभी तक 50 प्रतिशत सुधार आया है। धीरे धीरे सभी फर्मे जीएसटी के साथ कारोबार करना सीख जाएंगी।
मार्च में 10 फर्मों की गड़बड़ी पकड़ी गई
राज्यकर की टीमों ने मुरादाबाद और रामपुर जिले में पांच मार्च को लकड़ी की दस फर्मों में छापा मारकर करोड़ों कर चोरी पकड़ी थी। इस मामले में एक करोड़ रुपये कारोबारियों को तत्काल जमा करना पड़ा। नौ मई को 14 फर्मों जांच के दौरान साढ़े सात करोड़ की फर्जी आईटीसी पकड़ी गई।
सभी व्यवसायियों को पेनाल्टी जमा करना पड़ा। अधिकारियों का मानना है कि राज्य कर के कुछ नियमों में बदलाव करने से सही काम करने वाले कारोबारियों को फायदा मिल सकता है। वहीं जांच भी कम करनी पड़ेगी। व्यवसायियों के पैसे ट्रेजरी में जमा होने के बाद बाहर माल को लेकर जाने (कैरिज आउट वर्ड) का आदेश होना चाहिए।