प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) को सलाह दी कि वे लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस के बजाय उपमुख्यमंत्री अजित पवार और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से हाथ मिलाएं। वहीं, राकांपा संस्थापक शरद पवार ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के कारण संसदीय लोकतंत्र खतरे में है और वह उन लोगों से हाथ नहीं मिलाएंगे, जो इसमें भरोसा नहीं करते हैं।
शरद पवार का नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने उत्तर महराष्ट्र जिले में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, यहां के एक बड़े नेता जो 40-50 साल से सक्रिय हैं, बारामती (लोकसभा सीट) में मतदान के बाद चिंतित हैं। उनका कहना है कि चार जून के बाद अस्तित्व बचाने के लिए छोटी पार्टियां कांग्रेस में विलय कर लेंगी। इसका मतलब है कि नकली राकांपा और नकली शिवसेना ने कांग्रेस में विलय करने का मन बना लिया है। लेकिन कांग्रेस के साथ विलय करने के अपना अस्तित्व खत्म करने के बजाय अजित पवार और एकनाथ शिंदे के पास आइए।
वहीं, शरद पवार ने कहा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति, पार्टी या विचारधारा से गठबंधन नहीं कर सकते जो संसदी लोकतंत्र में भरोसा नहीं करता है। पवार ने जोर देकर कहा कि देश में एकता बनाए रखने के लिए सभी धर्मों को शामिल किया जाना चाहिए और साथ लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी के हालिया भाषण समुदायों के बीच दरार पैदा करने के अनुकूल रहे हैं, जो देश के लिए खतरनाक है। न तो मैं और नही मेरे सहयोगी ऐसे काम करेंगे, जहां चीजें राष्ट्र हित में नहीं होंगी।