आगरा: आगरा किला के सामने शुक्रवार दोपहर मातृ दिवस पर पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया की समर्थक ने दुनिया को अनोखे अंदाज में संदेश दिया। पेटा समर्थक ने बेबी डॉल (खिलौने वाली गुड़िया) के हाथ, पैर और सिर से सजा कोट पहनकर और हाथ में ‘हर कोई किसी का बच्चा है’ लिखी तख्ती को लेकर देशी और विदेशी पर्यटकों को जागरूक किया। पेटा ने देश और दुनिया को चमड़ा-मुक्त जीवनशैली अपनाएं का संदेश दिया है। उन्होंने देशी और विदेशी पर्यटकों से कहा कि हमारे अभियान का प्रमुख उद्देश्य जनता को पशुओं के चमड़े से बने कोट, जूते, बैग और अन्य वस्तुओं के निर्माण के दौरान निर्दोष पशुओं को दी जाने वाली गहन पीड़ा के संबंध में जागरूक करना है।
बता दें कि, पेटा ने आगरा किला के सामने विशेष कैंपेनिंग की। पेटा इंडिया के कैंपेन कोऑर्डिनटोर उत्कर्ष गर्ग ने कहा कि जो लेदर कोट, बैग्स गाय, भैंस या अन्य संवेदनशील पशुओं की त्वचा से बने हैं। लोगों को ये नहीं करना चाहिए, क्योंकि, लेदर प्रोडेक्ट के लिए निर्दोष प्राणियों को प्रताड़ित करके मौत के घाट उतारा जाता है। पेटा इंडिया हर किसी को देश में केवल वीगन चमड़े या अन्य प्राकृतिक या सिंथेटिक पशु-मुक्त सामग्री से बने उत्पादों को चुनने और अपनी अलमारी से पशुओं से प्राप्त सभी वस्तुओं को हटाने के पीलिए प्रोत्साहित करता है।
सबके लिए खतरनाक
पेटा इंडिया की समर्थक प्रियंका भोज ने बताया कि चमड़ा उद्योग मनुष्यों के साथ-साथ अन्य पशुओं और इस ग्रह के लिए भी घातक है। भारत में गाय, भैंस और चमड़े के लिए इस्तेमाल होने वाले पशुओं को इतनी बड़ी संख्या में गाड़ियों में ठूंस-ठूंसकर भरा जाता है, जिनकी रास्ते में ही हड्डियां टूट जाती हैं, जो असहनीय दर्द सहती हैं। इसके साथ ही बूचड़खाने में इन पशुओं को जिंदा ही काटा जाता है। खुलेआम टुकड़े-टुकड़े करके उनकी खाल उतारी जाती है। इसके बाद चमड़े के कारखानों (टेनरियों) से निकलने वाला जहरीला पानी नदियों और नालों को प्रदूषित करता है। जो पशुओं एवं मनुष्यों को नुकसान पहुंचता है, जिससे कैंसर, श्वसन संक्रमण सहित कई गंभीर बीमारियां हो जाती हैं।