लखनऊ: ऑटो बाईक की टक्कर से घायल बच्ची को मजदूर पिता ने मोहनलालगंज के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया। अस्पताल ने मजदूर से हजारों रुपये ऐंठने के बाद पैर का गलत आपरेशन कर दिया। बेटी की हालत बिगड़ने पर बच्ची को अस्पताल ने ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया लेकिन ट्रॉमा सेंटर मे भी इलाज न मिलने पर मजदूर ने मोहनलालगंज के एक अन्य निजी अस्पताल मे भर्ती कराया। बच्ची की जान बचाने के लिए बच्ची का पैर काटना पड़ा।
उन्नाव के असोहा के रहने वाले मजदूर राजाराम ने बताया कि 23 अप्रैल को ऑटो से वह कालूखेड़ा से बेटी कामिनी (13) के साथ वापस घर आ रहे थे तभी रास्ते मे बाईक व ऑटो में टक्कर हो गई जिससे उनकी बेटी घायल हो गई। बच्ची के घायल होने पर वह इलाज के लिए बेटी को मोहनलालगंज स्थित एक निजी अस्पताल ले गए। जहां पर बेटी को कुछ दिन भर्ती करने के बाद उसकी जांघ का ऑपरेशन किया लेकिन आपरेशन बिगड़ गया और बच्ची का पैर नीला पड़ने लगा। इसके साथ ही बच्ची के पैर के पंजे में सड़न शुरू हो गई।
पिता का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टर ने कहा कि बेटी की कोई नस खराब हो गई है जिसका इलाज यहां संभव नहीं है और केस बिगड़ने के डर से इलाज के सारे कागज दिए बिना बच्ची को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया लेकिन बच्ची की हालत लगातार बिगडने और ट्रॉमा सेंटर मे भी इलाज न मिलने पर मजदूर पिता बच्ची को मोहनलालगंज के एक अन्य निजी अस्पताल ले गया। जहां पर पैर में सड़न व सेप्टिक फैलने लगी।
निजी अस्पताल में इलाज के बावजूद हालत न सुधरने पर बच्ची का पैर काटकर उसकी जान बचाई गई। अस्पताल के संचालक डॉ. संतोष गुप्ता का कहना है कि बच्ची का इलाज अस्पताल में हुआ था। बच्ची की जांघ की हड्डी टूट गई गई थी व नशे फट गई थीं। इस ऑपरेशन के बाद उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया।