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दुनियाभर में अस्थमा से होने वाली 46% मौतें अकेले भारत में, आपमें भी तो नहीं है इसके लक्षण?

अस्थमा फेफड़ों में होने वाली गंभीर बीमारी है, जिसका खतरा लगभग सभी उम्र के लोगों में देखा जा रहा है। अस्थमा के रोगियों को वायुमार्ग के आसपास सूजन और मांसपेशियों की जकड़न के दिक्कत होने लगती है जिसके कारण उनके लिए सांस लेना कठिन हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया वातावरण की कई परिस्थितियां अस्थमा रोगियों के लिए समस्याओं को बढ़ाने वाली मानी जाती हैं, इसलिए जरूरी है कि इस बीमारी के शिकार लोगों को निरंतर सावधानी बरतते रहना चाहिए।

वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट की जाने वाली इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक करने और अस्थमा से बचाव को लेकर उपायों के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। अस्थमा दिवस के लिए इस साल का थीम है- अस्थमा एजुकेशन इंपावर्स।

अस्थमा के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि दुनियाभर में अस्थमा से होने वाली 46% मौतें अकेले भारत से रिपोर्ट की जाती हैं। कम उम्र के लोग यहां तक कि बच्चों को भी ये बीमारी अपना शिकार बना रही है। आइए इस विकार के लक्षणों और इसके कारण होने वाली समस्याओं पर नजर डालते हैं।

भारत में अस्थमा के रोगी

भारत में हर साल अस्थमा के कारण अनुमानित दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2021 रिपोर्ट के अनुसार भारत में अस्थमा के मरीज काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। श्वसन रोग विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा रोगियों में अगर समय रहते अस्थमा का निदान हो जाए तो इसके उचित उपचार से लक्षणों को बिगड़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

इंडियन चेस्ट सोसइटी के अध्यक्ष डॉ संदीप साल्वी बताते हैं, भारत में बढ़ते अस्थमा रोग के मामलों के लिए प्रमुख कारण इसका समय पर निदान न हो पाना माना जाता है। भारत में 90 प्रतिशत से अधिक अस्थमा रोगी इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का उपयोग नहीं करते हैं जिसे इस रोग से बचाव के लिए सबसे आवश्यक माना जाता है। ज्यादार लोगों में रोग का समय पर निदान या इलाज न हो पाने के कारण इस रोग के गंभीर रूप लेने का खतरा देखा जाता रहा है।

डॉक्टर बताते हैं, समय पर फेफड़ों के इस रोग का पता लगाकर लक्षणों को बिगड़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।

ऐसे जानें कहीं आपको भी तो नहीं है अस्थमा?

अस्थमा के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। धूल-पराग कणों के संपर्क में आने या फिर कुछ प्रकार की चीजों से एलर्जी के कारण अस्थमा की समस्या के ट्रिगर होने का जोखिम रहता है। अगर आपको भी कुछ प्रकार के लक्षणों का अनुभव हो रहा है तो किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लें।

  • सांस लेने में कठिनाई।
  • सीने में जकड़न या दर्द।
  • सांस छोड़ते समय घरघराहट होना, बच्चों में अस्थमा का ये सामान्य लक्षण है।
  • सांस लेने में तकलीफ, खांसी या घरघराहट के कारण सोने में परेशानी होना।

ये हो सकते हैं गंभीर संकेत

डॉक्टर बताते हैं, गंभीर स्थितियों में अस्थमा अटैक के मामले खतरनाक हो सकते हैं। कुछ स्थितियों में आपातकालीन उपचार की भी आवश्यकता हो सकती है। अस्थमा के अगर इस तरह के लक्षण दिख रहे हैं तो यह संकेत है कि आपको आपातकाल उपचार के लिए जाना चाहिए

  • सांस लेने में तकलीफ या घरघराहट की समस्या का बढ़ते जाना।
  • इन्हेलर का उपयोग करने के बाद भी कोई सुधार न होना।
  • कम शारीरिक गतिविधि के बाद भी सांस फूलने की समस्या।