भारत में स्टार्टअप फंडिंग में वित्त वर्ष 24 में पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2021 में निवेश पेशेवरों (Investment Professionals) को प्रतिदिन औसतन छह सौदे मिल रहे थे, लेकिन 2024 में, यह घटकर तीन हो गया है। वेल्थ 360 वन की ‘इंडिया इन्वेस्ट्स’ रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 25 करोड़ डॉलर मूल्य की निजी इक्विटी में 60 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि 50 करोड़ डॉलर या उससे अधिक का निवेश करने वालों की संख्या में भी 80 प्रतिशत से अधिक की भारी गिरावट आई है। 10 करोड़ डॉलर से कम के निवेश वाले फंडों में भी 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन 50 लाख अमरीकी डॉलर के तहत वित्त पोषण अब भी स्थिर दर पर हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2.5 करोड़ अमरीकी डॉलर से अधिक के बड़े सौदे, जो आमतौर पर स्टार्टअप के बढ़ने पर मिलते हैं, में भी कमी आई है। इसका मतलब है कि कुल मिलाकर स्टार्टअप में कम पैसा जा रहा है, खासकर मध्यम से बड़े आकार के सौदों में। स्टार्टअप्स ने इस वर्ष निवेशकों से लगभग 8 अरब अमरीकी डॉलर जुटाए, जो वित्त वर्ष 22-23 से 50% की तुलना में 50% कम है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 349.67 बिलियन अमरीकी डॉलर के कुल मूल्यांकन के साथ 111 यूनिकॉर्न हैं। यूनिकॉर्न की कुल संख्या में से, 102.30 बिलियन अमरीकी डॉलर के कुल मूल्यांकन वाले 45 यूनिकॉर्न 2021 में बने। 2022 में 29.20 बिलियन अमरीकी डॉलर के कुल मूल्यांकन के साथ 22 यूनिकॉर्न बने। वहीं 2023 में केवल एक यूनिकॉर्न बन पाया। भारत में 1.7 लाख पंजीकृत स्टार्टअप हैं, जो सामूहिक रूप से 1.2 मिलियन से अधिक नौकरियां पैदा करते हैं। इनमें सबसे ज्यादा महराष्ट्र में 5801 स्टार्टअप्स हैं। इसके बाद दिल्ली एनसीआर में 3150, कर्नाटक में 3032 और तमिलनाडु में 2810 स्टार्टअप हैं।