10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा परिणाम आने के बाद बच्चे जीवन के एक नए सफर पर निकलने को तैयार हैं। यह सफर स्कूल से कॉलेज लाइफ का है। 12वीं के बाद बच्चे अपना करियर तय करते हुए उस के मुताबिक विषय चुनते हैं। विषय और करियर को ध्यान में रखते हुए कॉलेज का चयन किया जाता है और दाखिले की प्रक्रिया होती है। इस बार अगर आपका बच्चा भी स्कूल छोड़ कॉलेज जाने की उम्र में है तो बतौर अभिभावक उनके करियर और भविष्य को लेकर आपकी चिंता भी लाजमी है।
स्कूल के जीवन और कॉलेज लाइफ में काफी फर्क होता है। स्कूल में शिक्षकों की देखरेख और माता पिता की निगरानी में रहने वाला बच्चा अब उम्र में तो बढ़ता ही है, साथ ही ऐसे परिवेश में जाता है, जहां वह लगभग स्वतंत्र होने लगता है। यहां से बच्चे के निजी विचार पनपने शुरू होते हैं। स्कूल बस की जगह अब बच्चा अपनी बाइक-स्कूटी या कार खुद चलाकर कॉलेज जाने की राह पर आ गया होता है।
पढ़ाई के साथ ही कई अन्य गतिविधियों में शामिल होता है। ये सब उसके लिए नया अनुभव होता है, जिसे वह सकारात्मक या नकारात्मक दोनों तरीके से ले सकता है। ऐसे में माता पिता को अपने बच्चे को कॉलेज भेजने से पहले कुछ जरूरी बातें बता देनी चाहिए, ताकि बच्चा कालेज लाइफ में भटक न जाए, बल्कि अपने लक्ष्य को पाने के साथ ही समाज में रहने और आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग भी शुरू कर सके। इस लेख में पहली बार कॉलेज जाने की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए कुछ सलाह और सुझाव दिए जा रहे हैं, जो हर माता पिता को ही अपने बच्चों को सिखाने व समझाने होंगे।
स्कूल और कॉलेज का अंतर
स्कूल से कॉलेज में जाना बच्चों के लिए महत्वपूर्ण दौर होता है। यह वह समय है जब बच्चा नियमों और अनुशासित जीवन से बिल्कुल अलग ऐसी जगह पर होता है, जहां वह खुद के नियम बनाता है और उसे जीता है। कॉलेज बच्चों को स्वतंत्रता देता है, जिस के वह लंबे इंतजार में होते हैं। ऐसे में इस स्वतंत्रता को बच्चा गलत तरीके से न अपनाने लगे, इसलिए उन्हें कॉलेज और स्कूल का अंतर पहले से समझाते हुए करियर को लेकर इसकी गंभीरता के बारे में भी बताएं।
केवल शिक्षा पर ध्यान केंद्रित न करें
भले ही पढ़ाई महत्वपूर्ण है और स्कूल से कहीं ज्यादा कॉलेज में आकर गंभीर हो जाती है लेकिन पूरी तरह के शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करके दूसरी चीजों को अनदेखा करना सही नहीं। बच्चे को पढ़ाई के साथ ही अच्छे दोस्तों के साथ वक्त बिताना, प्रोफेसर से संवाद, कैंटीन का अनुभव लेने के लिए भी प्रेरित करें।
पैसों की कद्र
कॉलेज जाने से पहले बच्चों को आर्थिक व्यवस्था को भी समझ लेना चाहिए। हर कॉलेज जाने बच्चे को पता होना चाहिए कि समझदारी से पॉकेट मनी को कैसे खर्च करना है। पैसों की कदर करना सिखाएं। उन्हें बताएं कि तय पॉकेट मनी में उन्हें अपने कॉलेज का खर्च उठाना है। पढ़ाई, कैंटीन और दोस्तों के बीच पैसों को कितना और कैसे खर्च करना है, ये सिखाएं।
खाना बनाना सिखाएं
काॅलेज लाइफ में आने का मतलब है बच्चे का आत्मनिर्भर होना। ऐसे में बच्चे को जीवन जीने के लिए जिन चीजों की जरूरत होती है, उसे बिना माता पिता की मदद के अकेले करना भी आना चाहिए। जैसे पानी गर्म करना, खाना बनाना आदि। काॅलेज में आकर पढ़ाई का स्तर भी बढ़ जाता है। कई बार बच्चे घर से दूर हाॅस्टल या पीजी में रहने के लिए चले जाते हैं। ऐसे में बच्चे को भूख लगने पर खुद के लिए खाना बनाना आना चाहिए।