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तेज आवाज पसंद नहीं, छात्रों के इन सवालों से हर दिन रूबरू हो रहे BHU के काउंसलर

वाराणसी: मां-बाप की डांट अच्छी नहीं लगती…। दोस्त अब कट-कटकर रहता है…। बॉयफ्रेंड/गर्लफ्रेंड ने धोखा दे दिया…। मुझे तेज आवाज पसंद नहीं…। क्या करूं? छात्र-छात्राओं के इस तरह के सवालों से बीएचयू के काउंसलर हर दिन रूबरू हो रहे हैं। विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण केंद्र पर रोजाना इस तरह की समस्याएं लेकर चार से पांच छात्र-छात्राएं पहुंच रहे हैं।

महीने भर में करीब 150 छात्र-छात्राएं काउंसिलिंग कराने पहुंचे। इनमें ज्यादातर 18 से 25 साल के हैं। इसमें पर्सनल और रिलेशनशिप से जुड़ी समस्या लेकर युवा ज्यादा पहुंच रहे हैं। दोनों ही मसलों से जुड़े मामले 30-30 फीसदी रहे। शेष 40 फीसदी कॅरिअर की चिंता, एडजस्टमेंट, होम सिकनेस और एडिक्शन से जुड़ी समस्याएं लेकर पहुंचे।
केस-1
बिड़ला-ए हॉस्टल में रहने वाले तस्मय ने बताया कि बारहवीं साइंस स्ट्रीम से पास की थी। साहित्य की तरफ झुकाव होने की वजह से बीए में दाखिला ले लिया। सेमेस्टर परीक्षा में एक विषय में कम नंबर आने पर घर वालों से काफी डांट सुननी पड़ी। काश उन्हें समझा पाता कि शुरुआत में एडजस्ट करने में दिक्कत हो रही है।

केस-2
भाभा हॉस्टल में रहने वाले उन्मुक्त ने बताया कि दोस्त ने अपने जन्मदिन पर साथ घूमने चलने के लिए बोला। मैं प्रैक्टिकल का प्रोजेक्ट तैयार करने के चक्कर में भूल गया। उसे लग रहा है जानबूझकर ऐसा किया। समझाने की भी कोशिश की पर विफल रहा।

कोई हो उनकी बात सुनने वाला
काउंसलर डॉ. नित्यानंद तिवारी कहते हैं कि निजी मामलों और रिलेशनशिप समेत अन्य समस्याओं को लेकर तनाव में रहने वाले युवाओं की बात सुनने वाला कोई होना चाहिए। माहौल ऐसा हो कि वे अपनी बात बेझिझक कह सकें तो समस्या का समाधान तुरंत हो जाता है। यहां आने वाले सभी युवाओं की समस्याओं का समाधान किया गया।