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भारत में मस्तिष्क विकारों के बढ़ते मामले चिंताजनक, स्वास्थ्य देखभाल को लेकर सरकार का बड़ा फैसला

मस्तिष्क विकार स्वास्थ्य क्षेत्र पर बढ़ते दबाव के प्रमुख कारणों में से एक हैं। भारत में भी इससे संबंधित रोगों के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं मस्तिष्क हमारे पूरे शरीर का संचालक होता है, इसमें होने वाली किसी भी तरह की समस्या का असर संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। शनिवार को जारी एक कार्यालय ज्ञापन के अनुसार- ”मस्तिष्क स्वास्थ्य एक उभरती समस्या है। इसमें सुधार करना न सिर्फ लोगों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए जरूरी है साथ ही ये स्वास्थ्य क्षेत्र पर बढ़ते दबाव भी कम करने में सहायक हो सकती है।”

इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मस्तिष्क स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच को बढ़ाने और इलाज की गुणवत्ता में सुधार के लिए ‘नेशनल टास्क फोर्स ऑफ ब्रेन हेल्थ’ गठित की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया, देश में कई प्रकार के मस्तिष्क विकारों का जोखिम देखा जा रहा है। कम उम्र के लोग भी इसका शिकार पाए जा रहे हैं।

भारत में मस्तिष्क विकारों की समस्या

ज्ञापन में कहा गया है कि तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकार डिसेबिलिटी एडजस्टेड लाइफ ईयर्स (डीएएलवाई) का प्रमुख कारण और वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण हैं। प्रति वर्ष 90 लाख से अधिक लोगों की इससे मौतें हो जाती है।पिछले तीन दशकों में भारत में किए गए अधिकांश अध्ययनों में पाया गया है कि यहां स्ट्रोक, मिर्गी, पार्किंसंस रोग और डिमेंशिया सहित मस्तिष्क की बीमारियों का बोझ बढ़ रहा है। ज्यादातर मामले शहरी भारतीय आबादी में देखे जा रहे हैं।

लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पहुंचाने का लक्ष्य

रिपोर्ट के मुताबिक लोगों तक स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच में सुधार के बावजूद सामाजिक-आर्थिक स्थिति, क्षेत्र और लिंग के आधार पर कई प्रकार की असमानताएं बनी हुई हैं। इस संबंध में टास्क फोर्स 15 जुलाई को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।यहां जानना जरूरी है कि हमारा मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र का हिस्सा है। तंत्रिकाओं का एक नेटवर्क शरीर में संकेतों का संचार करने करता है। मस्तिष्क से संबंधित विकारों के मामले ऑटोइम्यून होने के साथ, कुछ प्रकार के संक्रमण और ट्यूमर के कारण हो सकते हैं।

मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के बारे में जानिए

मस्तिष्क रोगों के मामले भारत ही नहीं पूरी दुनिया भर के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं। समय पर निदान और उपचार न मिल पाने के कारण इसके जोखिमों के बढ़ने का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। इन आंकड़ों पर एक नजर डालिए।

  • अल्जाइमर रोग 6 मिलियन (60 लाख) से अधिक लोगों को प्रभावित करता है।
  • ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार लगभग 44 बच्चों में से एक में होता है।
  • ब्रेन ट्यूमर और अन्य तंत्रिका तंत्र के कैंसर अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं, जो सभी कैंसर का 1.3% है।
  • मिर्गी से दुनियाभर की 1.2% आबादी प्रभावित है, जिसमें 30 लाख वयस्क और 4.70 लाख बच्चे शामिल हैं।
  • मानसिक बीमारी बहुत आम है, जो 5 में से 1 वयस्क को प्रभावित करती है।
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसके लगभग 10 लाख लोग प्रभावित हैं।
  • प्रत्येक वर्ष लगभग 8 लाख लोगों को स्ट्रोक होता है।