बरेली: बरेली में मेडिकल कॉलेज की छात्रा के साथ हुई डिजिटल अरेस्ट की घटना के तार दिल्ली और मुंबई से जुड़े मिले हैं। साइबर थाना पुलिस जल्द ही दोनों शहरों में जाकर मामले की जांच कर आरोपियों की गिरफ्तारी करेगी। मेडिकल की परास्नातक छात्रा ने 24 फरवरी को साइबर थाना में मामला दर्ज कराया था। छात्रा को उसके कमरे में लैपटॉप के सामने बंधक बनाकर आठ लाख से ज्यादा रुपये दूसरे खातों में डलवा लिए गए। इस दौरान केवल बेहद जरूरी कॉल ही उसे रिसीव करने दीं और उसका मोबाइल लैपटॉप की स्क्रीन के सामने रखवा दिया गया।
साइबर ठगों की साजिश का शिकार हुई छात्रा का आधारकार्ड महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक के मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा बताकर धमकाया गया। जांच के नाम पर दो दिन तक उसे परेशान किया गया। जांच के नाम पर लिए रुपये जब नहीं लौटाए गए तो छात्रा को ठगी का अहसास हुआ था।
इस चर्चित मामले में रिपोर्ट लिखकर साइबर थाना पुलिस विवेचना कर रही है। संबंधित बैंक और अन्य तरह की जांच से पता लगा है कि ठगी की रकम दिल्ली और मुंबई के लोगों के खातों में गई है। प्राथमिक जांच में स्पष्ट हो रहा है कि इस गिरोह के तार इन्हीं दोनों शहरों से जुड़े हुए हैं। विवेचना कर रही साइबर थाना पुलिस कुछ और जरूरी दस्तावेज जुटा रही है। इसके बाद दिल्ली और मुंबई में दबिश देकर टीम गिरफ्तारी करेगी।
ये होता है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का नया तरीका है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार वह लोग होते हैं जो अधिक पढ़े-लिखे और कंप्यूटर फ्रेंडली होते हैं। डिजिटल अरेस्ट का मतलब है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है। अक्सर डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को धमकाते और अपना शिकार बनाते हैं। महानगरों में ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।