गोंडा: भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशियों की 11वीं सूची जारी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के उम्मीदवारों की यह चौथी सूची थी। पहली सूची में 51, दूसरी में 12, तीसरी में सात और चौथी सूची में एक प्रत्याशी की घोषणा के साथ कुल 71 सीटों पर चेहरे मैदान में उतर गए। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगी दलों की सीटों को छोड़कर भाजपा ने अपने कोटे की 75 सीटों में चार पर अभी प्रत्याशियों का एलान नहीं किया है। इनमें अवध क्षेत्र की दो हाईप्रोफाइल सीटें भी हैं। पहली-कैसरगंज, दूसरी रायबरेली। दोनों ही सीटों पर कयासबाजी के साथ ही रणनीति को लेकर अपने-अपने दावे हैं। पेश है श्रीकांत मिश्र की रिपोर्ट…
यूपी के पांच बचे लोकसभा क्षेत्रों में दावेदारों के पैरोकारों ने आखिरी क्षण तक उम्मीद लगा रखी है। कैसरगंज में मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। दिल्ली से लौटने के बाद वह आश्वस्त थे कि आने वाली सूची में कैसरगंज से उनका नाम जरूर होगा, लेकिन तरबगंज विधायक प्रेमनरायन पांडेय और करनैलगंज विधायक अजय सिंह की मजबूत दावेदारी के चलते टिकट अभी जारी नहीं हो सका। सपा और बसपा ने भी यहां से अभी तक प्रत्याशी का एलान नहीं किया है।
ये दोनों दल भाजपा की तरफ टकटकी लगाये हैं। रायबरेली में कांग्रेस से इस बार सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने राजस्थान से राज्यसभा जाकर ये संकेत पहले ही दे दिया था। उनके स्थान पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम सबसे ऊपर है। भाजपा की ओर से राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश सिंह और ऊंचाहार से विधायक मनोज कुमार पांडेय भी शामिल हैं।
अन्य दलों ने भी साधी चुप्पी
कैसरगंज और रायबरेली दोनों ही सीटों पर भाजपा और अन्य प्रमुख दलों ने प्रत्याशियों के पत्ते अभी नहीं खोले हैं। साल 2019 के आम चुनाव में कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह जीते थे। रायबरेली सीट से कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनकर संसद पहुंची थीं। कैसरगंज पिछले चुनाव में सपा से समझौते के तहत बसपा के खाते में गई थी। बसपा प्रत्याशी चंद्रदेव राम यादव उर्फ करेली को हार का सामना करना पड़ा। रायबरेली से भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह उपविजेता घोषित हुए। सपा और कांग्रेस में गठबंधन होने पर कैसरगंज सपा के खाते में गई, जबकि रायबरेली कांग्रेस के पास है।