तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने राष्ट्रीय जांच एंजेसी (एनआईए) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच अपवित्र गठबंधन होने का आरोप लगाया। पार्टी ने कहा कि चुनाव आयोग इस मुद्दे पर चुप है।
अपने दायित्वों की अनदेखी कर रहा चुनाव आयोग: अभिषेक बनर्जी
टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने एक्स पर एक पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने लिखा, एनआईए और बंगाल भाजपा के बीच गठबंधन महसूस करें। तृणमूल नेताओं और आदर्श आचार संहिता के खिलाफ साजिशें रची जा रही हैं। बनर्जी ने कहा, यह मिलीभगत जारी है। चुनाव आयोग चुप रहकर निष्पक्षता सुनिश्चित करने के अपने दायित्वों की अनदेखी कर रहा है।
कुणाल घोष ने दी भाजपा नेता को चुनौती
पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि पश्चिम बर्धमान जिले में एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने 26 मार्च की शाम को शहर के न्यू टाउन इलाके में अपने अपार्टमेंट में एनआईए के एक अधिकारी से मुलाकात की थी और उन टीएमसी नेताओं की एक सूची सौंपी थी, जिन्हें लोकसभा चुनाव से पहले एनआईए द्वारा गिरफ्तार किया जाना था। घोष ने कहा, मैं इस नेता को चुनौती देता हूं कि यातो उस दिन की अपनी आवाजाही के पुख्ता सबूत के साथ मेरे आरोपों का खंडन करे या फिर हम 48 घंटे बाद उनके कॉल रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज के सबूत के साथ आएंगे।
एजेंसियों का इस्तेमाल कर साजिश रच रही भाजपा: चंद्रिमा भट्टाचार्य
बंगाल सरकार में वरिष्ठ मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि वह केवल इतना ही कहेंगी कि एनआईए ने चुनाव से ठीक पहले 2022 के पटाखों के विस्फोट के मामले की जांच शुरू की है और भूपतिनगर के तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की संलिप्तता पाई है। इससे पता चलता है कि यह केवल एक घटना के सिलसिले में एनआईए द्वारा कुछ लोगों को गिरफ्तार करने का मामला नहीं है। उसे स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यह दिखाता है कि भाजपा केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर टीएमसी के खिलाफ गहरी साजिश रच रही है।
सबूत लाने में विफल हुए तो मानहानि का मुकदमा करेंगे: भाजपा
वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता और आसनसोल के पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी ने एक टीवी चैनल से कहा कि महिलाओं और गरीब ग्रामीणों के खिलाफ आतंकवाद और अत्याचार के मामलों में संलिप्तता के कारण टीएमसी की अपने पैरों तले जमीन खिसक रही है। इसलिए वह झूठ गढ़ रही है और मनगढ़ंत कहानियां गढ़ रही है। तिवारी ने कहा,अगर टीएमसी नेता कुणाल घोष इस बात के सबूत लाने में विफल रहते हैं कि मैं या हमारा कोई नेता एनआईए की जांच को प्रभावित करने या उनके किसी भी अधिकारी से मिलने में शामिल था, तो मैं उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करूंगा।