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बरेली में लोकसभा चुनाव की बिसात पर अब बसपा की चाल का इंतजार है। सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद भाजपा ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है, लेकिन बसपा ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। ऐसे में हर तरफ अलग-अलग कयास लगाते हुए समीकरणों का अनुमान लगाया जा रहा है। माना जा रहा है कि अब पार्टी जल्द अपना रुख स्पष्ट करेगी।

वैसे आसपास की अन्य सीटों पर बसपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। बरेली की सीट के लिए कई उम्मीदवार पार्टी में हाथ-पैर मार रहे हैं। हालांकि, जिला संगठन ने प्राप्त आवेदनों में से पांच नाम पार्टी नेतृत्व को भेज दिए हैं। इसमें दो उम्मीदवार मुस्लिम हैं। कौन सा चेहरा बसपा का प्रतिनिधित्व करेगा? ये पार्टी आलाकमान से तय होगा। बसपा जिलाध्यक्ष राजीव सिंह का कहना है कि जो आवेदन मिले थे। उनपर पार्टी नेतृत्व मंथन कर रहा है। जल्द उम्मीदवार घोषित हो सकता है।

मुस्लिम चेहरे पर दांव लगा सकती है बसपा
जानकारों का कहना है कि पार्टी से मुस्लिम चेहरे पर दांव लगने की संभावना ज्यादा है। क्योंकि शहर में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या पर्याप्त है और इनकी संख्या करीब आठ लाख है। वहीं अन्य दलों ने दूसरे समीकरणों से अलग प्रत्याशी उतारे हैं। सपा व कांग्रेस गठबंधन ने प्रवीण सिंह ऐरन को प्रत्याशी बनाया है और भाजपा ने उम्र की बाधा के चलते आठ बार जीत चुके संतोष गंगवार का टिकट काटकर छत्रपाल गंगवार को उम्मीदवारी सौंपी है।
ऐसे में चुनाव को रोचक बनाने के लिए मुस्लिम प्रत्याशी बसपा उतार सकती है। वैसे भी बसपा ने जिले की ही आंवला लोकसभा सीट से सपा छोड़कर आए आबिद अली को उम्मीदवार बनाया है। आबिद कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा सांसद की तारीफ करने को लेकर चर्चा में आए थे।

छह बार स्वतंत्र, एक बार गठबंधन में रही
बरेली लोकसभा सीट पर बसपा ने 1996 में पहली बार प्रत्याशी उतारा था। फिर वर्ष 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 में भी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा। वर्ष 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के चलते सपा ने उम्मीदवार उतारा। इस दौरान छह में चार बार बसपा से मुस्लिम चेहरा उम्मीदवार था। वहीं, आंवला लोकसभा सीट पर 1996 से अब तक बसपा ने छह स्वतंत्र चुनाव लड़े थे। अबकी बार मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारा है।