काशी की अनोखी होली खेलने बुधवार को हरिश्चंद्र घाट पर लाखों की भीड़ पहुंची। शोभायात्रा में नरकंकाल पहनकर तांडव करते हुए भोलेभक्त घाट तक पहुंचे। अनोखी होली खेलने के लिए हरिश्चंद्र घाट पर शिव भक्तों का हुजूम इस कदर उमड़ा हुआ था कि पैर रखने की जगह भी नहीं बची थी। एक तरफ शव की कतार के बीच करुण कंद्रन तो दूसरी तरफ हर-हर महादेव का उद्घोष सुनाई दे रहा था। इस दौरान जलती चिताओं के बीच होली खेली गई। भारी भीड़ के बीच होरी खेलें मसाने में… के बोल पर लोग थिरकते रहे। चिता भस्म की होली में जनसैलाब देखते ही बन रहा। आगे की स्लाइड्स में देखें तस्वीरें…
प्राचीन नगरी काशी अनोखे आयोजनों और परंपराओं के लिए विख्यात है। रंगभरी एकादशी पर बुधवार को एक ऐसा आयोजन हुआ जिसमें जनसैलाब उमड़ पड़ा। महाश्मशान हरिश्चंद्र घाट पर पैर रखने की भी जगह नहीं बची थी। हरिश्चंद्र महाश्मशान पर सुबह होली का अद्भुत नजारा लोगों के लिए यादगार बन गया। घाट पर एक तरफ चिताएं धधकती रहीं तो दूसरी ओर बुझी चिताओं की भस्म से जमकर साधु-संत और भक्त होली खेलने में रमे रहे। ढोल, मजीरे और डमरुओं की थाप के बीच भक्तगण जमकर झूमे और हर-हर महादेव के उद्घोष से महाश्मशान गूंजता रहा।
होरी खेलें मसाने में… के बोल पर होरी गूंजी तो लोग थिरकने से खुद को नहीं रोक सके। दुनिया के कई देशों के पर्यटक भी चिता की भस्म से होली खेलने के उन क्षणों के साक्षी बने। यहां शोभायात्रा पहुंचते ही ठंडी चिताओं की भस्म के साथ भभूत उड़ाई जाने लगी। साथ में कुछ युवक अबीर और गुलाल की भी बौछार घाटों से करने लगे। श्मशान पर अंतिम संस्कार के लिए शवों को लेकर गमगीन लोग भी घाट पर पहुंचते रहे। कहीं चिताएं लगती रहीं तो कहीं मुखाग्नि दी जाती रही।
बाबा के गणों के रूप में गंजी, गमछा लपेटे युवाओं की होली तमाम विदेशी पर्यटकों के लिए भी यादगार बनी। लोग उन क्षणों को कैमरे में कैद करने के लिए आसपास की छतों, मुंडेरों पर जमे रहे। पूरी दुनिया में काशी ही एक ऐसा शहर है जहां महाश्मशान में भी फागुन मनाया जाता है। राग और विराग की नगरी काशी में हरिश्चंद्र घाट पर महाश्मशान पर बाबा भोले के भक्तों ने चिता भस्म की होली खेली। काशी की यह विधान युगों पुरानी मानी जाती है।