इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सशस्त्र सीमा बल के भर्ती बोर्ड को आरक्षी भर्ती में हड्डी रोग की विसंगतियों के आधार पर मेडिकल परीक्षा में अयोग्य घोषित अभ्यर्थी की हड्डी रोग के एक प्रोफेसर समेत दो सदस्यीय विशेषज्ञ समिति से पुनः जांच करवाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने जांच समिति को अपनी जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में 10 अप्रैल तक अदालत में पेश करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने मऊ जिले के अभ्यर्थी उपेंद्र कुमार की ओर से दाखिल स्पेशल अपील पर अधिवक्ता सुनील यादव को सुन कर दिया। याची ने कांस्टेबल (नाऊ) के पद लिए लिए अनुसूचित जन जाति के अभ्यर्थी के रूप में आवेदन किया था।
चयन प्रक्रिया के सभी चरणों में सफल रहे याची को नेत्र रोग विशेषज्ञ समेत तीन डॉक्टरों की जांच समिति ने हड्डी रोग से जुड़ी विसंगति के आधार पर चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया था। जबकि याची ने उन्ही विसंगतियों की जांच वाराणसी के बीएचयू सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के हड्डी रोग विभाग में करवाई तो उसमे वह फिट पाया गया। बीएचयू द्वारा जारी मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर याची ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे एकल पीठ ने खारिज कर दिया था।
एकल पीठ के आदेश के खिलाफ मामला पहुंचा था खंडपीठ
याची ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था। याची के अधिवक्ता सुनील यादव ने दलील दी कि याची को नेत्र रोग विशेषज्ञ की राय पर हड्डी की विसंगतियों के आधार पर मेडिकल अनफिट किया गया है, जो विश्वसनीय नहीं हो सकती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ की मेडिकल रिपोर्ट पर हड्डी रोग के विशेषज्ञ की राय नही ली गई, जबकि इस भर्ती में अपनाई जाने वाली चयन प्रक्रिया के नियमो में सुपर स्पेशलिटी डॉक्टर की राय लिए जाने का प्राविधान है।