नई दिल्ली: निर्वाचन आयोग में रिक्त पड़े चुनाव आयुक्त दो पदों को भरने के लिए जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बैठक होने वाली है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर एक याचिका दाखिल की गई है। इसमें मांग की गई है कि केंद्र सरकार नए कानून चुनाव आयुक्त (सेवा की शर्तें और व्यवसाय का संचालन) अधिनियम, 2023 के तहत चुनाव आयुक्त की नियुक्ति न होने दे।
कांग्रेस नेता जया ठाकुर की तरफ से यह याचिका अरुण गोयल के चुनाव आयुक्त पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद डाली गई है। चुनाव आयोग में फिलहाल आयुक्तों के तीन पदों में से दो पद खाली हैं। सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ही निर्वाचन आयोग में इकलौती सदस्य रह गए हैं। इससे पहले अनूप पांडे फरवरी में चुनाव आयुक्त पद से रिटायर हुए।
याचिका में क्या है मांग?
जया ठाकुर ने अपने आवेदन में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका लंबित है। इस पर 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नोटिस जारी किया गया था। इसी दौरान चुनाव आयोग के एक सदस्य अरुण गोयल ने इस्तीफा दे दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि चूंकि लोकसभा चुनावों का एलान जल्द हो सकता है। इसलिए चुनाव आयुक्तों की भर्ती भी तुरंत करने की जरूरत है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट को नियुक्ति को लेकर साफ दिशा-निर्देश जारी करने की जरूरत है।
क्या है नए कानून में प्रावधान?
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) कानून को लेकर शुक्रवार को एक सरकारी अधिसूचना जारी की गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सिफारिशें करने के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में एक चयन समिति का प्रावधान है।