मॉड्यूलर ब्रिज मंगलवार को भारतीय सेना में शामिल किया गया। यह कदम सेना के इंजीनियर्स की ब्रिजिंग क्षमता को बढ़ाएगा। इसे डीआरडीओ ने लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) के साथ मिलकर स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में आयोजित समारोह में इस 46 मीटर लंबे मॉड्यूलर ब्रिज को सेना में शामिल किया गया। इस दौरान सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, सेना और एल एंड टी के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
इस मॉड्यूलर ब्रिज में 2,585 करोड़ रुपये की कीमत के कुल 41 सेट अगले चार वर्षों में शामिल किए जाएंगे। इस गेम चेंबर ब्रिज को डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने डिजाइन और विकसित किया है। जबकि एल एंड टी ने डीआरडीओ की ओर से नामित एजेंसी के रूप में इनका उत्पादन किया।
यह पूरी तरह से असॉल्ट ब्रिज है। मॉड्यूलर ब्रिज सेना को नहरों और खाइयों जैसी बाधाओं को आसानी से पार करने में समक्ष बनाता है। यह भारतीय सेना के इंजीनियर्स की ब्रिजिंग क्षमता को बढ़ाएगा। क्योंकि इन्हें बहुत कम समय में तैनात किया जा सकता है। मॉड्यूलर ब्रिज को आधुनिक सैन्य उपकरणों के साथ डिजाइन और विकसित किया गया है। यह भारत के कौशल और रक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता को दिखाता है।
मॉड्यूलर ब्रिज की खरीद के लिए फरवरी 2023 में एल एंड टी के साथ अनुबंध किया गया था। सेना के मुताबिक, मॉड्यूलर ब्रिज के प्रत्येक सेट में 8×8 मॉबिलिटी वाहनों पर आधारित लॉन्चर वाहन शामिल हैं।
मॉड्यूलर ब्रिज मैन्युअल रूप से लॉन्च किए गए मीडियम गर्डर ब्रिज (एमजीबी) की जगह लेंगे, जो वर्तमान में सेना में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित मॉड्यूलर ब्रिज के कई फायदे होंगे। उन्होंने कहा कि यह ब्रिज से न केवल सेना की परिचालन क्षमता को दिखाते हैं, बल्कि रक्षा प्रौद्योगिकी और विनिर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता को दिखाते हैं।