एनआरआई और भारतीय नागरिकों के बीच बढ़ते विवाह से संबंधित धोखाधड़ी वाले मामलों पर विधि आयोग ने चिंता जाहिर की है। इस स्थिति से निपटने के लिए आयोग ने एक व्यापक कानून और जरूरी पंजीकरण की सिफारिश की है। कानून मंत्रालय को एनआरआई और भारत के प्रवासी नागरिकों से संबंधित वैवाहिक मुद्दों पर कानून रिपोर्ट पेश करते हुए पैनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि आयोग की राय है कि प्रस्तावित कानून व्यापक होना चाहिए।
स्थिति से निपटने के लिए कठोर कानून की आवश्यकता- ऋतुराज
एनआरआई के साथ-साथ भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के विवाह से जुड़े सभी पहलुओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। पैनल ने कहा कि ऐसा कानून न केवल एनआरआई पर बल्कि उन व्यक्तियों पर भी लागू किया जाना चाहिए जो नागरिकता अधिनियम, 1955 में निर्धारित ‘भारत के प्रवासी नागरिक’ (ओसीआई) की परिभाषा के अंतर्गत आते हैं।
पैनल के अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि व्यापक कानून में तलाक, जीवनसाथी के भरण-पोषण, बच्चों की भविष्य की रक्षा और भरण-पोषण, एनआरआई और ओसीआई पर समन, वारंट या न्यायिक दस्तावेजों की आज्ञा के प्रावधान भी शामिल होने चाहिए।
विधि आयोग के पैनल ने सरकार को दी सिफारिशें
पैनल ने सरकार को दी सिफारिशों में कहा कि यह अनुशंसा की जाती है कि वैवाहिक स्थिति की घोषणा, एक पति-पत्नी के पासपोर्ट को दूसरे के साथ जोड़ना और दोनों के पासपोर्ट पर विवाह पंजीकरण संख्या का उल्लेख करना अनिवार्य करने के लिए पासपोर्ट अधिनियम, 1967 संशोधन किए जाने की आवश्यकता है। गौरतलब है कि विधि आयोग ने स्थिति से निपटने के लिए,
अनिवासी भारतीयों के विवाह पंजीकरण विधेयक, 2019 को 11 फरवरी, 2019 को राज्यसभा में पेश किया गया था। 16वीं लोकसभा ने विधेयक को विदेश मामलों की समिति को भेजा था। इसके बाद, 17वीं लोकसभा के गठन के बाद उसी विधेयक को आगे की जांच के लिए फिर से विदेश मामलों की समिति के पास भेजा गया।