Monday , December 23 2024
Breaking News

‘गांधी-नेहरू परिवार ने मेरे पिता को दान में..’, प्रणब मुखर्जी की बेटी ने कांग्रेस पर फिर साधा निशाना

पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने मंगलवार को कांग्रेस की मौजूदा विचारधारा पर सवाल उठाया। साथ ही उन्होंने कहा कि गांधी-नेहरू परिवार ने उनके पिता को कोई पद दान में नहीं दिया था। दरअसल, शर्मिष्ठा ने एक दिन पहले भी कांग्रेस को नसीहत दी थी कि समय आ गया है कि नेतृत्व के लिए कांग्रेस पार्टी गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखे। इसी पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि गांधी-नेहरू परिवार ने प्रणब मुखर्जी को कोई पद दान में नहीं दिया।

शर्मिष्ठा ने कही ये बात
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस या गांधी-नेहरू परिवार ने मेरे पिता को कोई पद दान में नहीं दिया था। उन्होंने इसे अर्जित किया और इसके हकदार थे। क्या गांधी परिवार के लोग उन सामंतों की तरह हैं, जिनसे उम्मीद की जाती है कि उन्हें चार पीढ़ियों तक श्रद्धांजलि दी जाएगी?’ शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष करते हुए सवाल किया कि वैसे वर्तमान कांग्रेस पार्टी की विचारधारा क्या है? चुनाव से ठीक पहले शिव भक्त बन रहे हैं?।

एक दिन पहले भी दी थी नसीहत
इससे पहले, सोमवार को 17वें जयपुर साहित्य महोत्सव से इतर शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा था कि पार्टी में लोकतंत्र की बहाली, सदस्यता अभियान, पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव और नीतिगत निर्णयों की प्रक्रिया में हर स्तर पर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को शामिल करने की जरूरत है, जैसा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अपनी डायरी में लिखा है। इसके अलावा कोई जादू की छड़ी नहीं है।

राहुल को परिभाषित करना मेरा काम नहीं
उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी को परिभाषित करना मेरा काम नहीं है। किसी व्यक्ति को परिभाषित करना संभव नहीं है। अगर कोई मुझसे मेरे पिता को परिभाषित करने के लिए कहता है, तो मैं अपने पिता की व्याख्या भी नहीं कर सकती। नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस की पूर्व नेता ने कहा था कि पार्टी नेताओं को इसका जवाब देना होगा।

लगातार दो बार हार चुके
उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि साल 2014 और 2019 में राहुल गांधी बेहद बुरे तरीके से हारे थे। वह कांग्रेस का चेहरा थे। दो लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। अगर किसी नेता विशेष के नेतृत्व में कोई पार्टी लगातार हार रही है तो उसके बारे में सोचना जरूरी है। कांग्रेस को सोचना चाहिए कि पार्टी का चेहरा कौन होना चाहिए।

लोकतंत्र में अलग-अलग विचारधाराएं होती हैं
पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने आगे कहा था कि लोकतंत्र में अलग-अलग विचारधाराएं होती हैं, आप उनकी विचारधारा से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस विचारधारा का अस्तित्व गलत है। इसलिए बातचीत होना जरूरी है। जब मेरे पिता सक्रिय राजनीति में थे, तो उन्हें आम सहमति बनाने वाला माना जाता था, क्योंकि संसद में गतिरोध के दौरान पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ चर्चा करने का उनका गुण था। लोकतंत्र सिर्फ बोलने का मतलब नहीं है, दूसरों को सुनना भी बहुत जरूरी है। उनकी विचारधारा थी कि लोकतंत्र में संवाद होना चाहिए।