रूस की राजधानी मॉस्को में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को हिरासत में लिया गया है। हिरासत में लिए गए लोगों में कई विदेशी पत्रकार भी शामिल हैं। ये प्रदर्शन राष्ट्रपति पुतिन के चुनाव मुख्यालय के बाहर किया गया। यह प्रदर्शन यूक्रेन के मोर्चे पर लड़ रहे रूसी सैनिकों की पत्नियों और अन्य परिजनों ने आयोजित किया। इन महिलाओं की मांग थी कि उनके पतियों, बच्चों को घर वापस लाया जाए।
मोर्चे पर लड़ रहे सैनिकों की पत्नियों ने किया प्रदर्शन
रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए 500 दिन बीत चुके हैं। ऐसे में बड़ी संख्या में महिलाएं क्रेमलिन में इकट्ठा हुईं और फिर वहीं पर मौजूद राष्ट्रपति पुतिन के चुनाव मुख्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद पुलिस ने भीड़ से कई लोगों को हिरासत में लिया। हिरासत में लिए गए लोगों में कई विदेशी पत्रकार भी शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 27 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिन्हें पुलिस वैन में डालकर कितेय-गोराड स्टेशन ले जाया गया। कई प्रदर्शनकारियों को छोड़ दिया गया है और कई अभी भी पुलिस की हिरासत में हैं। रूस के स्वतंत्र मीडिया के अनुसार, हिरासत में लिए गए लोगों को रिपोर्ट्स लिखे जाने तक कानूनी मदद भी नहीं दी गई थी।
कई विदेशी पत्रकार भी हिरासत में लिए गए
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हिरासत में लिए गए विदेशी पत्रकारों में फ्रांस प्रेस, स्पीगल और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हैं। साथ ही जापानी टेलीविजन कंपनी फ्यूजी के प्रतिनिधि आंद्रेई जाइको भी शामिल हैं। ये विरोध प्रदर्शन मॉस्को के रेड स्कवायर के नजदीक हुए। रूस में जल्द ही आम चुनाव होने हैं और इन चुनाव में व्लादिमीर पुतिन का एक बार फिर से रूस का राष्ट्रपति बनना तय दिख रहा है। रूस में 15-17 मार्च तक चुनाव होंगे और विजेता का एलान मई में किया जाएगा।
साल 1999 में अपने कार्यकाल के आखिरी दिन रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति येल्तसिन ने व्लादिमीर पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया था। इसके बाद साल 2000 में हुए रूसी चुनाव में पुतिन 53 प्रतिशत वोटों से जीते और साल 2004 में उन्हें 71 प्रतिशत वोट मिले। 2008 में पुतिन के करीबी दिमित्री मेदवेदेव राष्ट्रपति बने और साल 2012 में फिर से पुतिन 63 प्रतिशत वोट पाकर राष्ट्रपति बने। साल 2018 में भी पुतिन को 76 फीसदी मत मिले।