निश्चित ही यह एक बड़ी कामयाबी है। साथ ही यह गर्व और खुशी का पल भी है, क्योंकि अब यहां पर भी मेरे देश भारत का तिरंग हमेशा लहराता रहेगा। अगर आप सही दिशा में ऊर्जा लगाएंगे तो हर सपना साकार हो होगा। जब आप अपने मंजिल पर पहुंच जाते हैं, तब आपकी सारी थकान दूर हो जाती है। अपनी खुशी को कुछ इस तरह से बयां करती हैं, मनिता प्रधान।
सिक्किम की 38 वर्षीय पर्वतारोही मनिता ने 31 जनवरी को दक्षिण अमेरिका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकॉनकागुआ को फतह किया। बैस कैंप से अमर उजाला से खास बातचीत में मनिता ने कहा, माउंट एकॉनकागुआ पर चढ़ना पृथ्वी के सात महाद्वीपों में से प्रत्येक के सबसे ऊंचे पर्वत “सेवन समिट्स” को जीतने और खोज का हिस्सा है। मनिता कहती हैं, बेटियां आज सपने बुन भी रही हैं और उसे साकार करके भी दिखा रही हैं। आज भारत की बेटियां किसी से कम नहीं हैं, हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं। उन्होंने इस सफलता में सहयोग के लिए सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम तमांग का आभार जताया।
मनिता ने जोड़ी एक नई शिखर, अलगा लक्ष्य भी तय
एकॉनकागुआ की चढ़ाई के साथ ही भारत के सिक्किम की पर्वतारोही गोर्खाली बेटी मनिता प्रधान ने दुनिया के प्रत्येक महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों, सेवन समिट्स को जीतने की
अपनी महत्वाकांक्षी यात्रा में एक और शिखर जोड़ लिया है। मनिता ने बताया कि एकॉनकागुआ की चढ़ाई साथी पर्वतारोहियों के साथ 16 दिसंबर को शुरू की थी और 31 जनवरी, 2024 को वे एकॉनकागुआ पर तिरंग फहराने में कामयाब हुईं। यह दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी 6,962 मीटर (22,837 फीट) है। उन्होंने बताया अगला लक्ष्य उत्तरी अमेरिका में माउंट डेनाली और अंटार्कटिका में माउंट विंसन मासिफ और इंडोनेशिया में कार्स्टेंस पिरामिड की चढ़ाई के साथ प्रोजेक्ट सेवन समिट को पूरा करना होगा। मनिता कहती हैं, बेटियां आज सपने बुन रही हैं और उसे साकार करके भी दिखा रही हैं। मनिता ने कहा, आज भारत की बेटियां किसी से कम नहीं हैं, हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं।
फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा
अपनी यात्रा के बारे में मनिता बताती हैं कि 2011 में एचएमआई दार्जिलिंग से बेसिक, एडवांस और मेथड ऑफ इंस्ट्रक्शन कोर्स पूरा करने के बाद, उन्होंने 2013 में माउंट मणिरंग 6593 मीटर पर चढ़कर अपनी चढ़ाई यात्रा शुरू की। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मनिता ने बताया कि इससे पहले दस शिखरों पर चढ़ाई कर चुकी हैं। इनमें सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (2021), माउंट एल्ब्रस (2022), त्रिशुल, भागीरथी और माउंट किलिमंजारो (2022) सहित कई अन्य चोटियां शामिल हैं। ये सभी 6000 मीटर से ऊंची हैं।
अंतिम परिणाम के लिए भी रहना पड़ता है तैयार
- मनिता ने युवा पर्वतारिहियों के लिए कहा, यह बहुत ही साहसिक खेल है, जिसमें भारी जोखिम शामिल है और कभी-कभी अंतिम परिणाम का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए नए पर्वतारियों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- सुरक्षा को बाकी सब से ऊपर प्राथमिकता दें। उचित चढ़ाई तकनीक, और बचाव प्रक्रियाएं सीखें। कभी भी अपनी सीमाओं को अपने कौशल या सुविधा क्षेत्र से आगे न बढ़ाएं।
- पहाड़ का सम्मान करें. मौसम की स्थिति, इलाके के खतरों और संभावित खतरों से सावधान रहें। प्रकृति की शक्ति को कम मत आंकिए।
- एक जिम्मेदार साथी या समूह के साथ चढ़ें। कभी भी अकेले चढ़ाई न करें, विशेषकर सुदूर या चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में। स्पष्ट संचार रखें और एक-दूसरे की मदद के लिए तैयार रहें।
- केवल ताकत पर नहीं, बल्कि तकनीक पर ध्यान दें। दक्षता और सुरक्षा के लिए अच्छा फुटवर्क, संतुलन और शरीर की स्थिति महत्वपूर्ण है।
- अनुभवी पर्वतारोहियों या प्रशिक्षकों से मार्गदर्शन लें। वे बहुमूल्य प्रतिक्रिया प्रदान कर सकते हैं और आपको सुरक्षित रूप से प्रगति करने में मदद कर सकते हैं।
- केवल शिखर का नहीं, बल्कि प्रक्रिया का आनंद लें।
- मानसिक लचीलापन विकसित करें। चढ़ाई शारीरिक और मानसिक रूप से कठिन हो सकती है। डर, आत्म-संदेह और थकान को हराना सीखें।
- धैर्यवान और दृढ़ रहें। प्रगति में समय और प्रयास लगता है। छोटी-छोटी जीत का जश्न मनाएं और असफलताओं से सीखें।