सुप्रीम कोर्ट ने लगभग छह साल पहले हुई मौतों के मामले में बड़ा आदेश पारित किया है। 2018 में तमिलनाडु की कुरंगानी पहाड़ियों में 13 लोगों की मौत के मामले में तमिलनाडु पुलिस ने बेल्जियम के नागरिक- पीटर वान गीत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद प्राथमिकी और सभी कानूनी कार्यवाहियों को रद्द किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक पर्वतारोहण / ट्रेकिंग के दौरान जंगली आग की चपेट में आने के कारण 13 लोगों की मौत हो गई थी शीर्ष अदालत में जस्टिस बीवी नागरत्ना और एजी मसीह की पीठ ने बेल्जियम के नागरिक को राहत देने का आदेश पारित किया। इससे पहले मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने 20 अगस्त, 2022 को बेल्जियन नागरिक को राहत देने से इनकार कर दिया था।
बेल्जियम के नागरिक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की खंडपीठ ने कहा, पर्वतारोहण / ट्रेकिंग कर रहा दल दुर्भाग्य से जंगल की आग में घिर गए। मौत केवल दुर्घटना है। इससे अपीलकर्ता (बेल्जियम के नागरिक) की किसी लापरवाही या आपराधिक इरादे की पुष्टि नहीं होती। अपीलकर्ता की उन ट्रेकर्स की मृत्यु में कोई भूमिका नहीं थी। जंगल की आग प्राकृतिक कारणों से लगी।
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर राहत देने का एलान करते हुए शीर्ष अदालत ने नोट किया कि लगभग छह साल पहले 11 मार्च, 2018 को हुए हादसे में 13 लोगों की मौत हुई, जबकि कई लोग घायल भी हुए। हादसे के बाद 12 मार्च, 2018 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि ट्रेकिंग अभियान में शामिल लोग जंगल की आग में फंस गए थे और जान बचाकर जंगल से भागने में सफलता नहीं मिली। आग की चपेट में आए ट्रेकर चारों दिशाओं से लगी आग की चपेट में आ गए। नतीजतन 13 लोगों की मौत के मामले में बेल्जियम के नागरिक का कोई दोष साबित नहीं होता।