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ताज ट्रिपेजियम जोन में दो साल में नहीं लग सका कोई उद्योग, वायु प्रदूषण का संकट बरकरार

उत्तर प्रदेश के आगरा में नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना को लेकर टीटीजेड (ताज ट्रिपेजियम जोन) में वायु प्रदूषण का संकट बरकरार है। नेशनल इनवॉयरनमेंट इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) की गाइडलाइन से उद्योगों को कोई राहत नहीं मिल सकी। गाइडलाइन भी वायु प्रदूषण मानक में उलझ गई। ऐसे में पिछले दो साल में कोई नई निर्माण इकाई स्थापित नहीं हो पाई है।

नए उद्योग धंधों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2019 में नीरी से टीटीजेड में सर्वे कराया। 2021 में नीरी ने रिपोर्ट दी। जिसके बाद दिसंबर 2021 में पर्यावरण मंत्रालय ने नीरी की रिपोर्ट के आधार पर गाइडलाइन लागू की। इसमें जल एवं वायु प्रदूषण मानक आधारित उद्योग चिह्नित हुए। दावा किया गया कि 242 प्रकार की औद्योगिक इकाइयां शुरू हो सकेंगी।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि नीरी गाइडलाइन के तहत एक होटल, एक कार का सर्विस सेंटर सहित तीन एनओसी जारी की गई है। इनमें कोई निर्माण इकाई नहीं है। भारी उद्योग के लिए गाइडलाइन नहीं है। जिनका प्रदूषण स्कोर 11 से 20 है ,उन्हीं पर गाइडलाइन लागू है। जिनका प्रदूषण स्कोर 20 से अधिक है उन उद्योग धंधों की स्थापना के लिए नीरी से अनुमति लेनी पड़ेगी। पिछले दो साल में इस संबंध में हुए किसी आवेदन की जानकारी नहीं है।

ठिठक रहा 2.26 लाख करोड़ रुपये का निवेश
फरवरी 2022 में ग्लोबल इनवेस्टर समिट में आगरा में 300 से अधिक उद्यमियों ने 3.30 लाख करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव दिए थे। जिनमें 2.26 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए एमओयू साइन हुए। करीब 11 महीने बाद 2.26 लाख करोड़ रुपये के निवेश में 8863 करोड़ रुपये के प्रस्ताव धरातल पर भूमि पूजन के लिए तैयार हुए। भूमि पूजन कब होगा यह अभी तक तय नहीं हो सका है। ऐसे में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि का निवेश आगरा से ठिठक रहा है।

आठ साल से बंदिशों में फंसा औद्योगिक विकास
आगरा का औद्योगिक विकास पिछले आठ साल से बंदिशों में फंसा है। टीटीजेड में वायु एवं जल प्रदूषण को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने नए उद्योग धंधों की स्थापना पर रोक लगाई थी। जिसके बाद से उद्योग धंधे नहीं लग सके। नीरी की गाइडलाइन भी बेअसर साबित हो गई। गाइडलाइन के बावजूद उद्योग धंधों की राह आसान नहीं हो सकी है।