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24 जनवरी को क्यों मनाते हैं भारत में बालिका दिवस, जानें इतिहास और महत्व

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 15 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। साल 2023 में राजस्थान के उदयपुर जिले में 10 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म और उसके शरीर के 10 टुकड़े कर दिए गए। भीलवाड़ा में एक मासूम बच्ची को कोयले की भट्टी में झोंकने की वारदात सामने आई थी। उदयपुर और प्रतापगढ़ जिले में महिलाओं को नग्न परेड कराई गई।

बालिकाओं व महिलाओं के खिलाफ होने वाले इन अपराधों से उन्हें बचाने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों व अधिकारों के संरक्षण के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। देश की बेटियों को सशक्त बनाने के लिए हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी को मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि कब और क्यों राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत हुई। इस वर्ष बालिका दिवस 2024 की थीम क्या है और इस दिन को मनाने के पीछे किस महिला का हाथ है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाते हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2008 से हुई। पहली बार महिला बाल विकास मंत्रालय ने 24 जनवरी 2008 में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया था।

24 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं बालिका दिवस

बालिका दिवस को 24 जनवरी के दिन मनाने की एक खास वजह है। इस दिन का नाता देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से जुड़ा है। इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। देश की बेटी के इस सर्वोच्च पद तक पहुंचने को उपलब्धि को प्रतिवर्ष याद करने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से 24 जनवरी का दिन महत्वपूर्ण माना गया।

बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य

देश की बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करके उन्हें समाज में विकास के लिए समान अवसर और सम्मान दिलाने के लिए यह दिन मनाते हैं। इसके अलावा बालिकाओं के साथ होने वाले भेदभाव के बारे में सभी लोगों को जागरूक करना भी उद्देश्य है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस 2024 की थीम

प्रतिवर्ष बालिका दिवस की एक खास थीम तय की जाती है। 2021 में बालिका दिवस की थीम ‘डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी’ थी। बालिका दिवस 2024 की थीम की घोषणा फिलहाल नहीं हुई है।