ज्ञानवापी से संबंधित वर्ष 1991 के प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के मुकदमे में शुक्रवार को वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन/फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने एएसआई के आवेदन पर ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 25 जनवरी तक का समय दिया है। एएसआई ने एक सप्ताह का समय मांगा था। इस प्रार्थना पत्र पर किसी पक्ष ने विरोध नहीं जताया। इस प्राचीन वाद में ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में दाखिल की जानी है। रिपोर्ट दाखिल करने के लिए जिला जज ने भी एएसआई को आदेश भी दिया है।
वहीं, लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी को हटाने के लिए शैलेंद्र कुमार पाठक व्यास की ओर से दिए गए आवेदन पर भी सुनवाई होनी है। अब इस मुकदमे में सर्वे रिपोर्ट पर सबकी नजर है। वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी के मुताबिक सर्वे रिपोर्ट से स्पष्ट हो जाएगा कि वहां मंदिर था या नहीं। मंदिर का अस्तित्व कब से है। वहीं,
विपक्षी मसाजिद कमेटी धार्मिक स्थानों को लेकर आजादी के समय जो स्थिति थी, वही रहने देने का कानून लागू होने की बात कह रही है। इस मामले की शीघ्र सुनवाई कर छह माह में निर्णय पारित करने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया है।
संगठनात्मक शक्तियां आगे आएंगी, तभी न्याय मिल सकेगा
वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि कोर्ट से ज्ञानवापी परिसर को बाबा का मंदिर घोषित करने, उसे हिंदुओं को सौंपने और वर्तमान ढांचा हटाकर उस पर मंदिर बनवाने के लिए वाद दाखिल किया गया है। वाद में सुनवाई पर इतना विलंब होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके लिए पॉलिटिकल प्रेशर जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि जिस तरह राम मंदिर की लड़ाई में संगठनात्मक शक्तियां आगे आकर न्याय हासिल की। वैसे ही इस मामले में संगठनात्मक शक्तियां आगे आएंगी, तभी न्याय मिल सकेगा। कहा कि अन्य सरकारों ने मामले को हल करने में कोई रुचि नहीं ली, जिसके चलते न्याय नहीं मिल पाया। साथ ही हिंदू पक्ष में भी कुछ ऐसे लोग हैं, जिनसे जूझना पड़ रहा है। सर्वे रिपोर्ट सामने आने पर अयोध्या की तरह बाबा विश्वनाथ का भी मामला साक्ष्यों के आधार पर निर्णीत हो जाएगा।