अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियां जोरों पर है। कल से पूजा विधि प्रारंभ हो जाएगी जो 21 जनवरी तक चलेगी। इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को पत्रकार वार्ता कर समारोह की तैयारियों और कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के समय गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत, श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गर्भगृह में मौजूद रहेंगे। आइए जानते हैं पत्रकार वार्ता जुड़ी दस बड़ी बातें।
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख मोहन भागवत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मनोभाव प्रकट करेंगे। इस कार्य में संभवतः 65 से 75 मिनट का समय लगेगा। मानसरोवर, अमरनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार, प्रयागराज का संगम तट, नर्मदा, गोदावरी, नासिक, गोकर्ण (कर्नाटक) अनेक स्थानों का जल आया है। इसके अलावा तमाम लोग अपने-अपने स्थानों का जल और रज (मिट्टी) यहां ला रहे हैं।
2. दक्षिणी नेपाल से एक हजार टोकरियों में भेंट आई है, जिसमें फल, अनाज, फल, मेवे, वस्त्र और सोना-चांदी आदि आया हुआ है। माता जानकी का जन्म स्थान है वहां से लोग आए हैं, भगवान श्रीराम की ननिहाल छत्तीसगढ़ है, वहां से भी भेंट आई हुई है। एक साधू बैलगाड़ी में घी लेकर जोधपुर से आए। ऐसे तमाम लोग श्रद्धापूर्वक अपने आराध्य के लिए भेंट लेकर आ रहे हैं और यह सिलसिला जारी है।
3. 20 जनवरी से 21 जनवरी तक रामलला के दर्शन बंद रहेंगे, फिलहाल अभी इस पर विचार चल रहा है। मंदिर के आचार्य और पुजारी ही अंदर मौजूद रहेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों को लेकर कोई असुविधा न हो।
5. प्रधानमंत्री के निवेदन को दोहराते हुए चंपत राय बोले कि 22 जनवरी को समाज के लोग अपने-अपने मंदिरों की सफाई करें। मंदिर छोटा हो या बड़ा दोनों ही भगवान के घर हैं, इसलिए सभी में पूजन-भजन हो। टेलीविजन या एलईडी स्क्रीन लगाकर खुद और अपने-अपने आसपास के लोगों को प्राण प्रतिष्ठा समारोह को दिखाएं।
4. चंपत राय ने समाज के लोगों से अपील की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद लोग शंख बजाएं, शंख की ध्वनि शुभ ध्वनि है। साथ ही प्रसाद वितरण करें, प्रसाद क्या बंटा, इससे अधिक महत्वपूर्ण है कि अधिक से अधिक लोगों तक प्रसाद पहुंचे। हमारे आयोजन मंदिर केंद्रित होने चाहिए। सूर्य अस्त होने के बाद अपने घरों के मुख्य द्वार पर पांच दीये जलाएं।
5. चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भारतीय परंपरा के सभी तरह के वाद्ययंत्र जैसे, उत्तर प्रदेश का पखावज, बांसुरी, ढोलक, कर्नाटक का वीणा, महाराष्ट्र का सुंदरी, पंजाब का अलगोजा, ओडिशा का मर्दल, मध्य प्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुंग, असम का नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ का तंबूरा, बिहार पखावज, दिल्ली की शहनाई, राजस्थान का रावण हत्ता, बंगाल का श्रीखोल, आंध्र का घटम, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलानाडु का नागेशर, मृदंग, और उत्तराखंड का हुड़का का वादन होगा। बस मंत्रोच्चार और विशिष्ट जनों के मनोभाव प्रकट करने के दौरान इन वाद्ययंत्रों का वादन नहीं होगा।
6. चंपत राय मंदिर परिसर की विशेष साज-सज्जा होगी। प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो जाने के बाद दोपहर ढाई बजे के बाद संत, महापुरुष और आमंत्रित गण दर्शन करने के लिए मंदिर में प्रवेश करेंगे। आमंत्रित लोगों को प्रातः 10 और साढ़े 10 बजे मंदिर में प्रवेश करना होगा और वापस जाने में शाम को पांच या छह भी बज सकते हैं। मंदिर में आने वाले आमंत्रित लोगों के लिए अल्पाहार की व्यवस्था रहेगी। 22 तारीख को 25 से अधिका चार्टड प्लेन आने की संभावना है।
7. चंपत राय ने कहा कि 18, 19 और 20 को जोड़ लें तो हेलीकॉप्टर से आने वालों की संख्या 100 हो सकती है। महर्षि वाल्मीकि हवाई अड्डे के अधिकारियों से इस संबंध में निवेदन किया गया है, और उन्होंने अच्छी से अच्छी सुविधा देने का आश्वासन दिया है। 26 तारीख से विहिप, आरएसएस की तिथियां निर्धारित की गई हैं और ये कार्यकर्ता उन्हीं तिथियों के हिसाब से आएंगे। सामान्यतः प्रतिदिन साढ़े चार हजार से पांच हजार तक कार्यकर्ता एक दिन रुकेंगे और उनसे वापस जाने का निवेदन किया जाएगा। यह योजना फरवरी के अंत तक ही चलेगी।
8. चंपत राय ने कहा कि 23 या 24 फरवरी तक इसके पूरा होने की संभावना है। जिन लोगों को निमंत्रित किया गया है उनके ठहरने के लिए कारसेवकपुरम, मणिरामदास छावनी का प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र और मणि पर्वत के बगल में तीर्थक्षेत्रपुरम में व्यवस्था की गई है। कुछ आश्रमों, धर्मशालाओं और व्यक्तिगत होमस्टे, होटल में भी कमरे लिए गए हैं।
9. ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि हॉगकॉग से एक टीम आ रही है, अमेरिका से भी एक टोली आ रही है। हमने पचास देशों से एक-एक व्यक्ति का चयन करने का निवेदन किया था। एक देश, एक प्रतिनिधि के तौर पर संगठन के लोग आ रहे हैं। ऐसे पचास देशों के 53 लोग आ रहे हैं। प्रयास रहेगा कि जो व्यक्ति आ रहा है वह उसी दिन दर्शन कर अपने गतंव्य की ओर जा सके। सर्दी को देखते यह प्रयास हो रहा है।
23 जनवरी से ही आमजन कर सकेंगे दर्शन
10. चंपत राय ने बताया कि 22 जनवरी को सभी गृहस्थों और संतों के दर्शन के बाद पत्रकारों को कैमरों के साथ दर्शन की व्यवस्था पर काम हो रहा है। शायद उत्तर भारत में अभी तक सौ-दो सौ सालों में इतना बड़ा स्टोन स्ट्रक्चर कोई नहीं बना होगा। स्वतंत्र भारत में अभी तक ऐसा आयोजन नहीं हुआ होगा, जिसमें नामों का चयन करके संतों और समाज को आमंत्रित किया गया होगा। कोई विद्या छूट नहीं, ऐसे शीर्ष पुरुष एक साथ होंगे। साथ ही सवालों के जवाब के दौरान उन्होंने कहा कि 22 जनवरी की तारीख के बाद 23 जनवरी से सभी लोग रामलला के दर्शन कर सकेंगे।