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क्यों मनाया जाता है भारतीय सेना दिवस, जानिए क्या है इस दिन का महत्व

हर साल 15 जनवरी के दिन भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है। भारतीय सेना एक पेशेवर सेना है, जो देश की सुरक्षा को लेकर हमेशा प्रतिबद्ध रहती है। युद्ध लड़ना हो, देश में किसी बड़ी त्रासदी आने के बाद रेस्क्यू करना हो या आपात स्थिति में जल्द से जल्द जरूरतमंद लोगों के पास मदद पहुंचानी हो, हमारे भारतीय जवान हर जगह मुस्तैदी के साथ काम करते हैं। देश के लिए ये जवाना अपना सर्वस्य न्योछावर करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। आतंकवाद से लड़ने के लिए ये जवान अपनी जान जोखिम में डालने से भी नहीं डरते। इस बार 15 जनवरी, 2024 को भारत अपना 76वां सेना दिवस मनाने जा रहा है। इस गौरवपूर्ण मौके पर नई दिल्ली और देश के विभिन्न सैन्य मुख्यालयों में सैन्य परेड, सैन्य प्रदर्शनियां और कई दूसरे रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस दिन देश की सेना की वीरता, शौर्य और कुर्बानियों को याद किया जाता है। वहीं क्या आपको इस बारे में पता है कि आखिर भारतीय सेना दिवस को मनाने की शुरुआत कब से हुई? आखिर इसे 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? अगर आप इस बारे में नहीं जानते हैं। ऐसे में आज हम इसी बारे में बताने जा रहे हैं –

15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है भारतीय सेना दिवस
भारतीय सेना का गठन ब्रिटिश सम्राज्य के आधीन किया गया था। ये वह समय था जब सेना में वरिष्ठ अधिकारी ब्रिटिश हुआ करते थे। गौर करने वाली बात है कि देश के आजाद होने के बाद भी सेना में जो वरिष्ठ अधिकारी थे। वे ब्रिटिश मूल के ही थे। साल 1949 में जनरल फ्रांसिस बुचर आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे। उनके जाने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा आजाद भारत के पहले भारतीय सैन्य अधिकारी बनते हैं।

15 जनवरी के दिन ही के एम करियप्पा, जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान ली थी। यह भारतीय सेना के लिए एक बहुत ही खास क्षण था। इसी दिन देश की सेना का नेतृत्व पहली बार किसी भारतीय के हाथ में पहुंचा था। इसी वजह से हर साल 15 जनवरी के दिन भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है।

कौन थे लेफ्टिनेंट जनरल के एम करियप्पा
के एम करियप्पा आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल थे। के एम करियप्पा का पूरा नाम कोडंडेरा मडप्पा करियप्पा था। के एम करियप्पा के नाम कई उपलब्धियां हैं। इन्होंने ही भारत और पाकिस्तान के बीच के युद्ध का नेतृत्व किया था। के एम करियप्पा का निधन साल 1993 में 94 साल की उम्र में हुआ था।

आजादी के बाद भारतीय सेना ने कई युद्ध लड़े हैं। इसके अलावा देश में अतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए भी भारतीय सेना ने कई बड़े अभियानों को चलाया है। ऐसे में भारतीय सेना दिवस देश की स्वतंत्रता और अखंडता की सुरक्षा के लिए वीर सैनिकों की कुर्बानियों को याद करने का दिन है।