भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने बुधवार को इस्तीफा दे दिया। एक दिन हले शीर्ष अदालत की अनुशासन समिति ने कदाचार के लिए उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
राष्ट्रपति अल्वी को लिखा पत्र
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को एक पत्र लिखकर न्यायमूर्ति सैयद मजहर अली अकबर ने अपना इस्तीफा दे दिया। इसमें उन्होंने कहा कि वह जिस तरह के आरोप उनके खिलाफ लगाए गए और जिस तरह से उनके साथ व्यवहार किया गया, उनके बीच वह अपने कर्तव्यों को आगे नहीं बढ़ा सकते।
‘न्यायाधीश के रूप में काम जारी रखना संभव नहीं’
उन्होंने कहा, ‘पहले लाहौर उच्च न्यायालय और फिर पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होना और सेवा देना सम्मान की बात थी। लेकिन, ऐसी परिस्थितियों में, जो सार्वजनिक जानकारी और कुछ हद तक सार्वजनिक रिकॉर्ड का मामला है, मेरे लिए पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में काम करना जारी रखना संभव नहीं है।’
एसजेसी ने कार्यवाही पर रोक लगाने से किया इनकार
उन्होंने कहा, ‘उचित प्रक्रिया के विचार भी मजबूर करते हैं। इसलिए मैं आज पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश पद से इस्तीफा देता हूं।’ मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायाधीश नकवी के कथित कदाचार को लेकर सर्वोच्च न्यायिक परिषद (एसजेसी) में उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
‘मेरे खिलाफ किया गया अपमानजनक व्यवहार’
दिसंबर में मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा और शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीशों को लिखे एक पत्र में न्यायमूर्ति नकवी ने कहा था कि एसजेसी द्वारा उनके साथ किया गया व्यवहार अपमान से कम नहीं है। एसजेसी ने पिछले साल 27 अक्तूबर को न्यायमूर्ति नकवी को पीठ में हेरफेर और वित्तीय कदाचार का आरोप लगाने वाली विभिन्न शिकायतों के बीच ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया था।
किसने दर्ज कराई थी शिकायत
पाकिस्तान बार काउंसिल, वकील मियां दाऊद और अन्य ने उच्चतम के न्यायाधीश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। एसजेसी ने न्यायाधीश को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। एसजेसी में न्यायमूर्ति तारिक मसूद, न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, लाहौर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद अमीर भट्टी और बलूचिस्तान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नईम अख्तर शामिल हैं। एसजेसी शीर्ष न्यायपालिका के न्यायाधीशों के खिलाफ शिकायतों की सुनवाई करने वाला शीर्ष निकाय भी है।
इस मामले में न्यायाधिकरण को घोषित किया असंवैधानिक
लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति नकवी ने दिवंगत सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाने वाले विशेष न्यायाधिकरण को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। दिलचस्प बात यह है कि उनका इस्तीफा तब आया, जब मुशर्रफ मामले में उनके फैसले को सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया। हालांकि, यह पता नहीं चल पाया है कि दोनों घटनाक्रम आपस में जुड़े हैं या नहीं।