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नई दिल्ली।  मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की दशा-दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाने वाले एस गुरुमूर्ति पर वरिष्ठ पत्रकार प्रणंजय गुहा ठाकुरता ने सवाल खड़े किए हैं। एक वेबसाइट में छपी रिपोर्ट में ठाकुरता ने गुरुमूर्ति को बहुत बड़ा नेटवर्कर करार दिया है। ऐसा नेटवर्कर जो कि बड़े बिजनेस घरानों के बीच संपत्ति की लड़ाई सुलझाने में बढ़-चढ़कर मध्यस्था निभाते हैं।

क्या लिखते हैं ठाकुरता

The Importance and Unimportance of S. Gurumurthy शीर्षक से लिखे लेख में ठाकुरता गुरुमूर्ति की भाजपा सरकार में भूमिका पर प्रकाश डालते हैं। इसी लेख के एक पैराग्राफ में ठाकुरता गुरुमूर्ति को बहुत बड़ा नेटवर्कर बताते हैं। कहते हैं िक 2013 में राहुल बजाज और उनके छोटे भाई शिशिर बजाज के बीच संपत्ति विवाद सुलझाने में गुरुमूर्ति ने मध्यस्थता निभाई। यही नहीं रुसी कंपनी Rosneft, the Oil and Natural Gas Corporation के साथ एस्सार की डील भी गुरुमूर्ति ने बतौर मीडिएटर कराई।

ठाकुरता लिखते हैं कि इंडियन एक्सप्रेस के संस्थापक रामनाथ गोयनका के बहुत भरोसेमंद गुरुमूर्ति रह चुके हैं। गुरुमूर्ति वह शख्स हैं, जो  1986 में इंडियन एक्सप्रेस के संपादक अरुण शौरी के साथ रिलायंस ग्रुप के खिलाफ खबरों की सीरीज चला चुके हैं।  2003 में स्वदेशी जागरण मंच के जरिए गुरुमूर्ति ने महाराष्ट्र के दाभोल पॉवर प्रोजेक्ट की जांच की मांग उठाई। वह भाजपा की ओर से ब्लैक मनी पर गठित टास्क फोर्स के संयोजक रह चुके। यही नहीं जब भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे, तब गुरुमूर्ति ने उन्हें क्लीन चिट दी। मोदी सरकार में गुरुमूर्ति की कितनी चलती है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इंडिया टुडे ग्रुप ने 2017 के  सर्वे में गुरुमूर्ति को देश के 50 शक्तिशाली व्यक्तियों की सूची में 30 वें स्थान पर रखा।

सीए भी हैं और खोजी पत्रकार भी

एस गुरुमूर्ति की बहुआयामी पहचान है। इस वक्त उन्हें स्वदेशी विचारधारा का आर्थिक चिंतक माना जाता है। संघ के अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक भी हैं। वैसे पेशे से गुरूमूर्ति सीए हैं।  जहां पत्रकारिता से जुड़े लोग उन्हें  चार्टर्ड एकाउंटेंट ज्यादा मानते हैं वहीं चार्टर्ड एकाउंटेंट तबका उन्हें अपने प्रोफेशन का कम, जासूस पत्रकार ज्यादा मानता है।  गुरुमूर्ति इंडियन एक्सप्रेस के मालिक रामानाथ गोयनका के सलाहकार रह चुके हैं। गोयनका तब 72 साल के हुआ करते थे और गुरुमूर्ति  की उम्र महज 27 साल।  गोयनका ने ही गुरुमूर्ति को धीरूभाई अंबानी की तेज तरक्की की पड़ताल की खबरों में लगाया था। गुरुमूर्ति इस काम में बहुत कामयाब रहे और रिलायंस को असलियत उजागर होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। गुरुमूर्ति का चरित्र मणिरत्नम की फिल्म गुरु में भी पत्रकार श्याम के रूप में सामने आता है। गुरु में गुरुमूर्ति की भूमिका को अभिनेता माधवन ने निभाया है।

जेल भी गए गुरुमूर्ति

बोफोर्स के मामले में भी गुरुमूर्ति की खोजी पत्रकारिता जासूसी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। उन्होंने भारत सरकार की नाक में दम कर दिया और परिणाम स्वरूप जेल भी गए।