साल 2023 की शुरुआत में अमेरिका से गुजरने वाले चीनी जासूसी गुब्बारे ने नेविगेशन और स्थान से जुड़े आंकड़ों (डाटा) को बीजिंग वापस भेजने के लिए एक अमेरिकी इंटरनेट सेवा प्रदाता का इस्तेमाल किया था। सीएनएन ने अपनी खबर में एक अधिकारी के हवाले से यह दावा किया है।
अधिकारी ने दावा किया कि यह नेटवर्क कनेक्शन अमेरिकी खुफिया समुदाय के लिए एक ऐसा जरिया बनकर उभरा, जिससे वह गुब्बारे के स्थान को ट्रैक करने और इसके पारगमन के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा कर सकते थे। हालांकि, उन्होंने इंटरनेट सेवा प्रदाता की पहचान का खुलासा नहीं किया है। गुब्बारे में बीजिंग के साथ संवाद करने की क्षमता थी, क्योंकि यह अमेरिका को पार कर गया था। इससे पहले एनबीसी न्यूज ने भी बताया कि गुब्बारा संचार के लिए एक अमेरिकी इंटरनेट नेटवर्क पर निर्भर था।
अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, नेटवर्क कनेक्शन का इस्तेमाल खुफिया डाटा चीन वापस भेजने के लिए नहीं किया गया था। इसके बजाय, गुब्बारे ने बाद में इमेजरी और अन्य डाटा सहित ऐसी जानकारी संग्रहीत की। अमेरिका ने फरवरी में चीनी जासूसी गुब्बारे को सफलतापूर्वक मार गिराया था, ताकि संग्रहीत जानकारी का व्यापक विश्लेषण किया जा सके।
एफबीआई और राष्ट्रीय खुफिया कार्यालय के निदेशक दोनों ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। सीएनएन ने प्रतिक्रिया के लिए वाशिंगटन में चीनी दूतावास से भी संपर्क किया। चीन लगातार दावा करता रहा है कि यह मौसम से जुड़ी जानकारी जुटाने वाला गुब्बारा था जो रास्ते से भटक गया था।
इससे पहले सीएनएन ने अपनी खबर में बताया था कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने विश्लेषण में पाया कि जासूसी गुब्बारा चीनी सेना के एक व्यापक निगरानी कार्यक्रम का हिस्सा था। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, बीजिंग ने हाल के वर्षों में पांच महाद्वीपों में इस तरह के दो दर्जन से अधिक मिशन किए थे। पिछली खबरों में इस बात के संकेत दिए गए थे कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के नेताओं का इरादा गुब्बारे को अमेरिका में उड़ाना नहीं था और उन्होंने निगरानी कार्यक्रम के ऑपरेटर्स को फटकार लगाई।
राष्ट्रपति जो बाइडन ने जून में चीन के सर्वोच्च नेता शी जिनपिंग पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि जिनपिंग गुब्बारे की अमेरिका में मौजूदगी को लेकर यह कहते हुए बच गए कि उन्हें पता नहीं था कि गुब्बारा वहां था। सीएनएन की खबर के मुताबिक, बाइडन ने शी की तुलना उन तानाशाहों से की थी जो महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से अनजान होने पर शर्मिंदा हो जाते हैं।