केंद्रीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा लगाए गए सख्त नियमों के अलावा हाई मिनिमम बैलेंस की जरूरत के कारण कई इंटरनेशनल बैंक अमीर भारतीयों के खाते बंद कर रहे हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो महीनों में दो दर्जन से ज्यादा हाई-नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) के इंटरनेशनल बैंक अकाउंट बंद कर दिए गए हैं। ये कार्रवाई दो ब्रिटिश बैंकों, एक स्विस बैंक और एक प्रमुख एमिरेट्स लेंडर की ओर से की गई है।
LRS के तहत खोले गए थे बैंक अकाउंट
भारत के इन अमीरों ने आरबीआई की उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) के तहत विदेशों में पैसे ट्रांसफर करके बैंक अकाउंट खोले थे। इसके तहत एक स्थानीय व्यक्ति को स्टॉक, संपत्तियों आदि के जरिए प्रति वर्ष 2,50,000 डॉलर तक निवेश करने की अनुमति मिलती है। कुछ बड़े इंटरनेशनल बैंकों में मिनिमम बैलेंस कम से कम 1 मिलियन डॉलर रखने की जरूरत होती है। जिन हाई-नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) के अकाउंट में मिनिमम बैलेंस नहीं होता है, ऐसी परिस्थिति में बैंक स्टॉक और लोन में निवेश के लिए बैंक की वेल्थ मैनेजमेंट सेवा का उपयोग करने का सुझाव देते हैं।
चूंकि बैंक ऐसे निवेशों से मुनाफा कमाता है, इसलिए अकाउंट में मिनिमम बैलेंस कम होने पर भी वह ग्राहक को बनाए रखना चाहता है। इंटरनेशनल बैंक अकाउंट्स बंद होने पर सीए फर्म जयंतीलाल ठक्कर एंड कंपनी के पार्टनर राजेश पी शाह ने कहा, ”इस तरह के ईमेल प्राप्त करने वाले पक्षों को तुरंत पैसे भेजकर नियमों का पालन करना चाहिए।”
रिजर्व बैंक के नियम का भी पेच
इसमें पेच रिजर्व बैंक के नियम का भी है। रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक 180 दिनों के भीतर किसी इंटरनेशनल बैंक अकाउंट में पड़े निष्क्रिय पैसे को निवेश किया जाए या वापस लाया जाए। सिंगापुर के एक बैंक ने हाल ही में भारत में अपने कुछ ग्राहकों से संपर्क किया और उनसे पैसा निवेश करने के लिए कहा क्योंकि निष्क्रिय पैसे भारतीय नियमों का उल्लंघन हो सकता है।