गुजरात के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने एक आव्रजन परामर्श कंपनी (इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म) चलाने वाले तीन लोगों को बुधवार को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उन्होंने वीजा चाहने वाले लोगों के बैंक खातों में कथित तौर पर फर्जीवाड़ा किया।
एक आधिकारिक एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘जांच में पता चला है कि ये तीनों व्यक्ति अपने ग्राहकों के बैंक खातों के फर्जी स्टेटमेंट तैयार करते थे और वीजा आवेदनों के साथ जाली दस्तावेज संलग्न करते थे, ताकि अधिकारियों से जल्दी मंजूरी मिल सके।’
दूतावास के अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए बैंक स्टेटमेंट की समीक्षा करते हैं कि वीजा चाहने वाल व्यक्ति मेजबान देश में अपने प्रवास के लिए आर्थिक जरूरतो को पूरा कर सकता है या नहीं। बैंक स्टेटमेंट से पता चलता है कि आवेदक के खाते में यात्रा के दौरान उसका समर्थन करने के लिए पर्याप्त नकदी है या नहीं।
विज्ञप्ति में आगे कहा गया, हाल ही में सीआईडी को जानकारी मिली थी कि लोग फर्जी बैंक दस्तावेज और फर्जी प्रमाण पत्र जमा करके स्टुडेंट वीजा के साथ-साथ अमेरिका और कनाडा जैसे देशो के वर्क परमिट हासिल कर रहे हैं। खुफिया जानकारी के आधार पर सीआईडी ने 15 दिसंबर को राज्य के 17 अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की थी और गांधीनगर के कुदासान इलाके में स्थित फ्यूचर प्लानिंग वीजा कंसल्टेंसी के परिसर से कुछ संदिग्ध सामग्री बरामद की थी।
सीआईडी ने घटनास्थल से एक लैपटॉप, एक मोबाइल, एक पेन ड्राइव और एक कंप्यूटर हार्ड डिस्क जब्त की थी और इसे विश्लेषण के लिए गांधीनगर में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) भेजा था। विज्ञप्ति में कहा गया है कि एफएसएल के विशेषज्ञों को आरोपी के मोबाइल फोन में विभिन्न बैंकों के फर्जी खातों के विवरण मिले।
एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर सीआईडी ने एक मामला दर्ज किया और अवकाश चौधरी, साहिल पटेल और क्रुणाल वारिया को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी, 467 और 468 के तहत आपराधिक साजिश और जालसाजी के आरोप में बुधवार को गिरफ्तार किया। ये गिरफ्तारियां 276 यात्रियों को लेकर चार्टर्ड एयरबस A340 के मुंबई पहुंचने के एक दिन बाद हुई हैं। अधिकारियों ने बताया कि विमान में सवार अधिकतर लोग गुजरात के रहने वाले थे।
सीआईडी (अपराध) के पुलिस अधीक्षक संजय खरात ने पहले कहा था कि मुंबई से गुजरात पहुंचने पर पुलिस यात्रियों के साथ पूछताछ करेगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसमें शामिल एजेंट और एजेंसियां कौन हैं और क्या उन्हें अमेरिका और अन्य देशों में जाने के लिए मुहैया कराए गए दस्तावेज फर्जी हैं।