जनपद में पांच ऐसे चेहरे हैं, जिनकी गिरफ्तारी पुलिस नहीं कर पा रही है। माफिया मुख्तार की पत्नी, नगर पंचायत अध्यक्ष बहादुरगंज, ब्लाक प्रमुख भदौरा, बीडीओ और एक सिपाही की गिरफ्तारी के लिए पुलिस जगह-जगह दबिश दे चुकी है। लेकिन, ये सभी मोबाइल बंद कर फरार हैं। इनकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
माफिया मुख्तार अंसारी की पत्नी आफ्शा अंसारी पर गाजीपुर, मऊ और लखनऊ में भी मुकदमा दर्ज है। मुकदमों की सुनवाई जब न्यायालय में शुरू हुई तो आफ्शा प्रस्तुत नहीं हुई। इसके बाद न्यायालय ने नोटिस जारी किया। मऊ पुलिस ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया। इसके बाद मऊ और गाजीपुर पुलिस पुलिस ने उसपर 50 हजार का इनाम घोषित किया, लेकिन आफ्शा अंसारी की गिरफ्तारी नहीं कर सकी।
इसी तरह मुख्तार अंसारी के करीबी और आईएस-191 का सक्रिय सदस्य बहादुरगंज नगर पंचायत के चेयरमैन रेयाज अंसारी और उसके तीन सहयोगी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। दो दिसंबर को न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने इन सभी के मकानों एवं सार्वजनिक स्थानों पर धारा 82 का नोटिस चस्पा किया है।
अब इन्हें भगोड़ा घोषित कर पुलिस ने 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। साथ ही इनकी संपत्तियों का ब्योरा खंगालने में जुट गई है। हालांकि उनकी पत्नी व पूर्व बहादुरगंज नगर पंचायत की पूर्व चेयरमैन निकहत परवीन की फर्जी अंकपत्र के सहारे नौकरी लेने के आरोप में गिरफ्तारी हुई थी। इस मामले वह वर्तमान समय में जमानत पर हैं।
इसी तरह बीते दिनों बहरियाबाद थाना क्षेत्र के मीरपुर गांव में रात सोनू यादव (25) को गोली मारकर घायल करने के मामले में नसीरपुर गांव निवासी मिथिलेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया, जो प्रयागराज में सिपाही के पद पर तैनात बताया जा रहा था। पुलिस के मुताबिक आरोपी अतीक अहमद प्रकरण के गवाह नीरज कुमार शुक्ला का गनर बताया जा रहा है, जो फरार है।
इसी तरह भदौरा ब्लाक में हुए 15 लाख रुपये के घोटाले के मामले में खंड विकास अधिकारी गिरीश चंद सिंह, सपा ब्लॉक प्रमुख भदौरा नरगिस खान और उनके चहेते ठेकेदार के खिलाफ गहमर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है, जिनकी खोज में पुलिस जुटने का दावा करती है। लेकिन, अभी तक सुराग नहीं लगा पाई है। हालांकि पुलिस को इतनी खबर है कि सभी के मोबाइल नंबर बंद हैं।