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2018 में चांद पर दो मिशन भेजेगा भारत, ISRO के अलावा स्टार्टअप टीम इंडस फहराएगी तिरंगा

नई दिल्ली। देश की धरती से अगले साल दो मून मिशन लॉन्च किए जाएंगे। पहला मिशन अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चंद्रयान-2 (2018) का अडवांस वर्जन होगा, जिसका उद्देश्य चांद की सतह के बारे में अधिक जानकारी इकठ्ठा करना होगा। दूसरा मिशन एयरोस्पेस स्टार्टअप टीम इंडस का है जो चांद की सतह पर 500 मीटर चलने के अलावा तिरंगा फहराएगी। टीम इंडस का यह मिशन ग्लोबल लूनर कॉम्पिटिशन का हिस्सा है।

टीम इंडस में अधिकतर युवा इंजिनियर हैं जिनका नेतृत्व आईआईटी दिल्ली के पढ़े हुए राहुल नारायण कर रहे हैं। यह गूगल के लूनर XPRIZE ग्लोबल कॉम्पिटिशन के तहत किया जा रहा है जिसका प्राइज मनी 3 मिलियन डॉलर (करीब 192 करोड़ रुपये) है। इस कॉम्पिटिशन में चुनी गई टीमों को चांद की सतह पर रोवर को 500 मीटर चलाना है और चांद से पृथ्वी तक एचडी तस्वीरें भेजनी हैं।

इस कॉम्पिटिशन को पूरा करने के लिए एयरोस्पेस स्टार्टअप टीम इंडस इन्फोसिस के को-फाउंडर और UIDAI के पूर्व चेयरमैन नंदन नीलकेणी समेत इसरो के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन जैसे लोगों से निवेश जुटाया है। टीम इंडस की तारीफ करते हुए नीलकेणी ने बताया, ‘टीम इंडस बड़े लक्ष्यों के लिए काम कर रहा है। मैंने इस एयरोस्पेस स्टार्टअप पर निवेश इसलिए ही किया है क्योंकि मुझे चांद पर पहुंचने और लैंड करने वाले इस मिशन पर भरोसा है।’

इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने टीम इंडस को पीएसएलवी सर्विस मुहैया कराने की जानकारी देते हुए बताया, ‘टीम इंडस ने इसरो के कमर्शल कंपनी ऐंट्रिक्स के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।’ दोनों मिशन का अंतर समझाते हुए किरण कुमार ने बताया, ‘दोनों मिशन तकनीकी और वैज्ञानिक रूप से अलग हैं। दोनों स्पेसक्राफ्ट में यूज होने वाले सामान भी पूरी तरह से अलग हैं। दोनों में तुलना का काई मतलब ही नहीं है।’

टीम इंडस के अलावा अमेरिका की टीम मून एक्सप्रेस, इजरायल की टीम स्पेसआईएल और एक अंतरराष्ट्रीय टीम सिनर्जी मून ने भी लॉन्च से जुड़े समझौते किए हैं। टीम इंडस पीएसएलवी की सर्विस का इस्तेमाल करते हुए 600 किलो का बेबी स्पेसक्राफ्ट चांद की ऑरबिट में छोड़ेगी। इसरो अपने मिशन के लिए भारी जीएसएलवी एमके 2 का इस्तेमाल करेगा।