2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने आकाश आनंद को सियासी ककहरा सिखाना शुरू किया था। इसके लिए बाकायदा मायावती ट्रेनिंग के तौर पर उनको अपने साथ रैलियों और जनसभाओं में ले जाती थीं। धीरे-धीरे आकाश आनंद को अलग-अलग राज्यों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जाने लगी। अब मायावती ने पांच साल की सियासी पाठशाला में आकाश को ट्रेंड करके लोकसभा चुनावों से पहले उत्तराधिकारी घोषित किया है।
बहुजन समाज पार्टी की रणनीति के लिहाज से यह बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि पार्टी के गिरते जनाधार को आगे बढ़ाने और युवाओं को बसपा आंदोलन से जोड़ने के लिए आकाश आनंद अब नई रणनीति के साथ आगे आएंगे। इसका सीधा असर आने वाले लोकसभा के चुनाव में प्रत्याशियों के चयन से लेकर सियासी रणनीति तक पर दिखेगा।
बहुजन समाज पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि 2024 का चुनाव उनकी पार्टी के लिए अब तक के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण चुनावों के साथ-साथ भविष्य की राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है। उनका कहना है अगर 2024 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का वोट प्रतिशत और लोकसभा के सदस्यों की संख्या नहीं बढ़ती है तो उनकी पार्टी के भविष्य पर बड़ा संकट आ सकता है। ऐसे दौर में आकाश आनंद का नाम बतौर उत्तराधिकारी आगे करके पार्टी ने एक बड़ा सियासी शॉट तो खेल ही दिया है, क्योंकि इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक उत्साह बढ़ेगा। इसके अलावा आकाश आनंद के साथ युवाओं को भी जोड़ने के अभियान में गति मिलेगी।
वह मानते हैं कि देश के जितने भी दूसरे दल हैं, वह युवाओं के माध्यम से अपनी रणनीति को और विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। इसी दिशा में आकाश आनंद अब आगे की रणनीतियों को विस्तार देंगे और युवाओं के माध्यम से बहुजन समाज पार्टी को न सिर्फ मजबूत कर आगे बढ़ाएंगे, बल्कि भविष्य के लिए पार्टी को तैयार करेंगे।
वह कहते हैं कि आकाश आनंद ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल, चंडीगढ़, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बीते पांच साल में लगातार कई सियासी दौरे किए हैं। पार्टी की नीतियों के साथ-साथ युवाओं को जोड़ने का जो बड़ा रोड मैप तैयार हुआ है वह अब असल रूप से अमल में आएगा।
बहुजन समाज पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री कहते हैं कि 8 मार्च 2022 को जब मायावती ने आधिकारिक तौर पर सिर्फ एक ही नेशनल कोऑर्डिनेटर तय किया, इशारे तभी साफ हो गए थे। वह कहते हैं कि पार्टी में अध्यक्ष उपाध्यक्ष और नेशनल कोऑर्डिनेटर ही सबसे महत्वपूर्ण पद होते हैं। आकाश आनंद के पूर्णतया नेशनल कोऑर्डिनेटर होने से पहले उनके साथ राज्यसभा सांसद रामजी गौतम भी इस पद में हिस्सेदारी बंटाते थे, लेकिन मायावती के ऐलान के साथ आकाश आनंद ही बसपा के इकलौते नेशनल कोऑर्डिनेटर घोषित किए गए। उसके साथी आकाश ने पार्टी को मजबूत करने के लिए पूरा प्लान बनाना शुरू कर दिया।
बहुजन समाज पार्टी के नेता का कहना है कि शुरुआती दौर में यह कहा जा रहा था कि मायावती के भाई आनंद उनके उत्तराधिकारी होंगे। लेकिन 2017 में जब सहारनपुर की एक रैली में आकाश आनंद को पहली बार सार्वजनिक रूप से मायावती ने मंच पर बिठाया। तय तभी हो गया था कि मायावती की पार्टी में या तो अपने भाई आनंद या उनके बेटे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी देगी। वह कहते हैं कि 17 जनवरी 2019 को लोकसभा चुनाव से पहले आकाश आनंद को आधिकारिक तौर पर पार्टी मूवमेंट के साथ जोड़ा गया और स्टार प्रचारक बनाया गया। उसके बाद से पार्टी में मायावती के किसी और के उत्तराधिकारी होने के सभी कयास लगाए जाने बंद कर दिए गए थे।
वहीं, आकाश आनंद के उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के बाद पार्टी में बड़े फेरबदल की चर्चाएं भी हो रही हैं। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इसका सीधा असर आने वाले लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के टिकट दिए जाने के साथ से ही दिखाना शुरू हो जाएगा। पार्टी के भीतर भी चर्चा इस बात की हो रही है कि अपने सभी सांसदों को मायावती दोबारा रिपीट करें, इसकी उम्मीद कम है। सियासी जानकारों का कहना है कि अब मायावती की आगे की रणनीति को आकाश आनंद के नजरिए से ही देखा जाना चाहिए। किसी भी बड़े फैसले में आकाश आनंद की सहमति महत्वपूर्ण मानी जाएगी।