संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा के सदस्य देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर चर्चा कर सकते हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक राज्यसभा सांसद अयोध्या रामी रेड्डी, बीरेंद्र प्रसाद बैश्य, घनश्याम तिवारी, लक्ष्मीकांत बाजपेयी, सुशील कुमार मोदी, आदित्य प्रसाद और शंभू शरण पटेल मंगलवार को राज्यसभा में ‘देश में आर्थिक स्थिति’ पर चर्चा शुरू करेंगे.
इससे पहले संसद ने सोमवार को ‘अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023’ को मंजूरी प्रदान कर दी. इस विधेयक का मकसद अदालत परिसरों में दलालों की भूमिका को खत्म करना है.
लोकसभा ने विधेयक पर विस्तृत चर्चा और विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के जवाब के बाद ध्वनिमत से स्वीकृति दी. राज्यसभा में यह विधेयक पिछले मानसून सत्र में पारित किया गया था. लोकसभा में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने यह तय किया है कि उन औपनिवेशिक कानूनों को निरस्त किया जाएगा जो अनुपयोगी हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि ‘इस संशोधन को लाने का उद्देश्य पूरी तरह पवित्र है.’ मंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार में 1486 औपनिवेशिक कानून समाप्त कर दिए गए, जबकि संप्रग सरकार के 10 साल के कार्यकाल में एक भी ऐसा कानून खत्म नहीं किया गया.
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदम्बरम ने विधेयक पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि छोटी अदालतों में छोटे-मोटे दलालों के खिलाफ पहल करने के साथ-साथ केंद्र को ‘बड़ी मछलियों’ को पकड़ने के लिए प्रावधान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस विधेयक के समर्थन में है, लेकिन जटिल विधिक प्रक्रिया और सामाजिक असमानता के कारण दलाल पैदा होते हैं. भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार अपना औचित्य खो चुके ब्रिटिशकालीन कानूनों को निरस्त करने के प्रति वचनबद्ध है. भाजपा के ही पी. पी. चौधरी ने कहा कि न्यायपालिका में दलालों की मौजूदगी का नुकसान समाज के अंतिम छोर के लोग उठाते हैं.