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चुनाव का केंद्र बने किसान, कर्ज माफी समेत कई योजनाओं से पार्टियों ने किए खुशहाली के वादे

मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में कृषि और किसान चुनाव के केंद्र में रहे। हर पार्टी ने किसानों को अपनी ओर खींचने की कोशिश की। अगर कांग्रेस ने कोई घोषणा की तो बीजेपी ने उसका दायरा बढ़ाते हुए वादे किए। एमएसपी से अधिक धान और गेहूं की खरीद का वादा हर पार्टी ने किया, तो तेलंगाना में रायतु बंधु योजना को बढ़ाने का दावा बीआरएस और कांग्रेस ने किया। पेश है मनीष मिश्र की रिपोर्ट…

मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश, में शिवराज सिंह सरकार पहले से ही किसानों की कर्जमाफी समेत कई तरह की योजनाएं लागू की थीं। राज्य सरकार ने 11 लाख 19 हजार डिफाल्टर किसानों का लगभग दो हजार 123 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया। पीएम किसान सम्मान निधि और सीएम कल्याण योजना के लाभार्थियों को 12,000 हजार की वार्षिक सहायता आगे भी देने का वादा किया। जबकि कर्जमाफी के मुद्दे पर 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस ने भी इस साल कर्जमाफी, धान 2600, गेहूं 2599 रुपये प्रति क्विंटल में खरीदने का वादा, दूध खरीद पर बोनस, गोबरधन योजना और किसानों को मुफ्त बिजली देने का वादा किया।

छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हर दांव पर बीजेपी ने काट तैयार रखी। धान खरीदी मूल्य राज्य के लिए प्रमुख मुद्दा रहा है। पहले से ही एमएसपी से अधिक पर हो रही धान खरीद को कांग्रेस ने प्रति एकड़ 20 कुंतल और प्रति कुंतल 3000 रुपये देने की घोषणा की थी, जबकि भाजपा ने इसे बढ़ाते हुए प्रति एकड़ 21 कुंतल खरीद और प्रति कुंतल 3100 रुपये देने का वादा किया।

राजस्थान
राजस्थान में भी बीजेपी किसानों के लिए ‘खुशहाल किसान’ प्लान लेकर आई। गेहूं की फसल को एमएसपी के ऊपर बोनस देकर 2,700 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदने का वादा किया। पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत वित्तीय सहायता को बढ़ाकर 12 हजार प्रतिवर्ष करने का वादा किया। कांग्रेस ने भी किसानों को दो लाख रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने, एमएसपी का कानून बनाने सहित कई योजनाएं की थीं। जो जनता को रास नहीं आईं।

तेलंगाना
तेलंगाना में भी किसान चुनावों के केंद्र में रहे। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार ने प्रदेश के किसानों के लिए वर्ष 2018 में ‘रायतु बंधु’ योजना शुरू की थी। इसमें किसानों को रबी और खरीफ सीजन में 5000-5000 रुपये प्रति एकड़ दिए जाते हैं। जिसे दोबारा सत्ता में आने पर बढ़ाकर 12000 रुपये सालाना प्रति एकड़ का बीआरएस ने वादा किया था। इसके काट के तौर पर कांग्रेस ने अपनी छह गारंटी में ‘रायतु भरोसा’ का वादा किया। इसके तहत किसानों को साल में प्रति एकड़ 15,000 रुपये दिए जाने हैं। कांग्रेस ने वादा किया है कि खेतों में काम करने वाले मजदूरों को 12,000 रुपये दिए जाएंगे।