भारत को अंटार्कटिका पर अपना वैज्ञानिक बेस स्थापित किए हुए 40 साल हो गए हैं। उस मिशन में शामिल सदस्यों ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में याद करते हुए बताया कि भारत के इस मिशन को टॉप सीक्रेट रखा गया था और यहां तक कि मिशन में शामिल लोगों को परिजनों को भी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। साथ ही मिशन में शामिल लोगों को ट्रेनिंग देने वाले लोगों को भी इसकी कोई जानकारी नहीं थी।
पूरी तरह गुप्त रखा गया था भारत का पहला अंटार्कटिका मिशन
बता दें कि भारत का पहला अंटार्कटिका मिशन साल 1981 में शुरू किया गया था। जिसमें 21 लोग शामिल थे। अंटार्कटिका मिशन पर जाने वाली टीम का नेतृत्व डॉ. एस जेड कासिम ने किया था। भारतीय वैज्ञानिकों ने गोवा से अपने मिशन की शुरुआत की थी और साल 1983 में भारत का पहला वैज्ञानिक बेस स्टेशन अंटार्कटिका में स्थापित किया गया था। इसे दक्षिण गंगोत्री नाम दिया गया। 1 दिसंबर का दिन दुनियाभर में अंटार्कटिका दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस मौके पर गोवा में नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओसीन रिसर्च (NCPOR) ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इसी कार्यक्रम में भारत के अंटार्कटिका मिशन में शामिल लोगों ने मिशन से जुड़ी यादें साझा की।
मिशन में शामिल रहे अमित्व सेन गुप्ता ने बताया कि ‘मिशन को लेकर बैठकें बंद दरवाजों के पीछे होती थी। इन बैठकों में कैबिनेट सचिव, नेवी चीफ स्तर के अधिकारी शामिल होते थे। हमें ऐसा लगता था कि हम किसी जेम्स बॉन्ड सरीखी फिल्म में हैं।’ उन्होंने बताया कि मिशन में शामिल रहे लोगों को अपने परिवार को भी इसके बारे में ना बताने के निर्देश दिए थे। मिशन में शामिल रहे एसजी प्रभु मातोंडकर ने बताया कि उनमें मिशन को लेकर ऐसा भाव था कि वह देश के लिए कुछ कर रहे हैं।