Monday , December 23 2024
Breaking News

UN महासभा में युद्धविराम का भारत ने किया स्वागत, बिना शर्त बंधकों की रिहाई का आह्वान

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भारत ने अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस के अवसर पर फलस्तीनी नागरिकों के साथ दीर्घकालिक संबंधों की पुष्टि की। भारत ने इस्राइल और हमास के बीच जारी युद्ध के बीच विराम के फैसले का स्वागत किया। बता दें, युद्ध में करीब 15 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, पिछले पांच दिनों से दोनों पक्षों ने सीजफायर घोषित कर दिया है।

नागरिक संकट पर जाहिर की चिंता
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि 29 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस है। इस अवसर पर भारत फलस्तीनी लोगों के साथ दीर्घकालिक संबंधों की पुष्टि करता है। हम फलस्तीनी लोगों के शांति और समृद्धि का समर्थन करते हैं। मध्य-पूर्व में स्थिति तनावग्रस्त है इस्राइल-हमास युद्ध के कारण बड़ी मात्रा में नागरिक जीवन की हानि हो रही है। महिलाओं-बच्चों सहित अन्य लोग संकट में है। यह अस्वीकार्य है। हम नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा करते हैं। हम उन तमाम फैसलों का स्वागत करते हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव कम हो सके।

पीएम मोदी ने गाजा में शांति के लिए प्रयास किए
कंबोज ने आगे कहा कि युद्ध के दौरान दोनों पक्षों ने सीजफायर का सम्मान किया। सीजफायर की घोषणा मानवीय संकट को कम करने के लिए स्वागत योग्य है। भारत आंतकवाद और नागरिकों को बंधक बनाने की कार्यवाही की निंदा करता है। बंधकों और उनके परिजनों के प्रति हमारी संभावनाएं हैं। बंधकों की रिहाई हो रही है, यह सुकून देता है। हालांकि, कंबोज ने शेष बंधकों की बिना शर्त रिहाई का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत आंतकवाद के खिलाफ सख्त है। युद्ध की शुरुआत होते ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शांति स्थापित करने के लिए तमाम प्रयास किए। पीएम मोदी और जयशंकर ने कूटनीति और बातचीत के लिए ढेरों कोशिशें की। हमारे नेताओं ने मानवीय सकंट पर हमेशा चिंता जाहिर की।

भारत की मदद का किया जिक्र
कंबोज ने महासभा में बताया कि भारत ने सिर्फ चिंता ही जाहिर नहीं की, बल्कि गाजा में राहत सामाग्री भी भिजवाई। भारत ने अपनी ओर से गाजा में 70 टन मानवीय सहायता भेजा। इसमें 16.5 टन तो सिर्फ दवाइयां और चिकित्सा सुविधाएं शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने हमेशा इस्राइल फलस्तीन मुद्दे पर बातचीत के माध्यम से दो-राज्य समाधान का समर्थन किया है। भारत एक संप्रभु और स्वतंत्र फलस्तीन की कामना करता है, जो सुरक्षित हो और आंतकियों से मुक्त हो।