सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों ने नाश्ते में उपमा तथा लंच में दाल-भात भेजा गया। एक विशेष टीम ने उन तक यह सब पहुंचाया। यह टीम सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के साथ ही बचाव कार्य में लगे लोगों के भी खाने-पीने का भी ध्यान रखती थी।
इस सात सदस्यीय टीम के लीडर रत्नाकर दास ने बताया कि पूर्व में 4 इंच के पाइप से हर 45 मिनट में अंदर फंसे मजदूरों को मुरमुरे, भूने चने, भीगे चने, बादाम, काजू, किशमिश और पॉपकार्न व मूंगफली दी जाती थी। जिसे वह स्टोर करके खाया करते थे।
नाश्ता और खाना पहुंचाने में दिन रात जुटे श्रमिक
अब छह इंच का पाइप पहुंचने के बाद से मजदूरों को पका हुआ भोजन दिया गया। उनकी टीम मजदूरों और बचाव कार्य में लगी टीम के सुबह के नाश्ते, दिन व रात के खाने को पहुंचाने में दिन-रात जुटी रहती थी।
रत्नाकार ने बताया कि उन्होंने यह काम अपनी स्वेच्छा से चुना। ताकि वह अंदर अपने साथियों की देखभाल कर सकें। बताया कि इस काम के चलते पिछले कुछ दिनों में वह केवल दो से तीन घंटे ही सो पा रहे हैं। टीम में उपेंद्र कुमार, रंजीत कुमार, महेश, कुक लालू, रवि व दिनेश शामिल हैं।
खाना पहुंचाने में लगता था दो घंटे का समय
रत्नाकर दास ने बताया कि अंदर फंसे मजदूरों तक पाइप से खाना पहुंचाने में दो घंटे का समय लगता था। सके लिए दाल और खिचड़ी जैसे खाद्य पदार्थ बोतल में भरकर और फिर रस्सी से बांधकर भेजे जाते थे।