Sunday , December 22 2024
Breaking News

गरीबी से जूझ रहे इस देश की करेंसी सबसे आगे, जानें कहां हैं डॉलर, पाउंड और रुपया

सबसे ज्यादा मजबूत करेंगी किस देश की है? इस सवाल का जवाब ज्यादातर लोग डॉलर, पाउंड, यूरो या भारतीय रुपया जवाब देंगे। लेकिन ये सभी अब पीछे रह गए हैं। गरीबी से जूझ रहे एक देश की करेंसी सितंबर तिमाही में सबसे आगे निकल गई है।

यह करेंसी अफगानिस्तान की करेंसी ‘Afghani’ है। यह बेस्ट परफॉर्मेंस वाली करेंसी बनकर उभरी है। तालिबान शासन वाला अफगानिस्तान दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। वहां मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। लोग पाई-पाई को मोहताज हैं। ऐसे में उसकी करेंसी का इस तेजी से आगे बढ़ना हर किसी के लिए चौंकाने वाला है।

अफगानिस्तान की करेंसी सबसे आगे

वर्ल्ड बैंक (Worls Bank) की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान (Afghanistan) में लोग अपना जीवनयापन तक नहीं कर पा रहे हैं। बेरोजगारी और अशिक्षा का बोलबाला है। साल 2021 में तालिबान के हाथ देश की कमान आने के बाद हालात और भी बिगड़े हुए हैं। इन सबके बावजूद अफगानी करेंसी ने सितंबर तिमाही में दुनिया की तमाम करेंसियों को बहुत पीछे छोड़ दिया है।

कितनी मजबूत हुई अफगानी करेंसी

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सितंबर तिमाही में दुनिया में सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाली करेंसी (World’s Best Performing Currency) अफगानी करेंसी बन गई है। 26 सितंबर तक के आंकड़ों के अनुसार एक डॉलर के मुकाबले अफगानी का मूल्य 78.25 है। 02 अक्टूबर 2023 को 1 डॉलर 77.751126 अफगानी के बराबर बना था। एक्सपर्ट्स ने इसे शॉर्ट टर्म तेजी माना है। वहीं, अगर सालाना आधार पर देखा जाए तो कोलंबिया की पेसो और श्रीलंका के रुपए के बाद अफगानी का तीसरा नंबर आता है। फोर्ब्स (Forbes) के अनुसार, इस साल दुनिया में सबसे ज्यादा वैल्यूएवल वाली करेंसी कुवैती दीनार है। जिसकी कीमत 269.54 रुपए है।

कहां है भारतीय रुपया

वहीं अगर भारतीय रुपए की बात करें तो सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 83.17 पर था। वहीं, अफगानी 77.75 पर था। यानी एक अफगानी 1.06 भारतीय रुपयए के बराबर है। अब बात अगर पाकिस्तानी करेंसी की करें तो एक अफगानी मुद्रा इस समय 3.70 पाकिस्तानी रुपए के बराबर है।

अफगानिस्तान के आर्थिक हालात कैसे हैं

पिछली तिमाही में अफगानी की कीमत 9 प्रतिशत तक बढ़ी है। दूसरी बड़ी करेंसियों से भी आगे यह आंकड़ा है। UN के अनुसार, अफगानिस्तान में गरीबी बड़े स्तर पर है। वहां करीब 3.4 करोड़ लोग गरीबी में जीवन जी रहे हैं। 2021 के आंकड़े के मुताबिक, पूरे देश की आबादी ही 4.01 करोड़ है। गरीबी रेखा से नीचे जीने वालों की संख्या साल 2020 के मुताबिक, 1.5 करोड़ है। यानी दो साल में गरीबों की संख्या अफगानिस्तान में 1.9 करोड़ बढ़ गई है।

अफगानिस्तान की करेंसी में तेजी क्यों

तालिबान देश की करेंसी मजबूत होने के पीछे कई कारण हैं। दरअसल, अफगानिस्तान में अमेरिकी डॉलर और पाकिस्तानी रुपए की इजाजत नहीं है। ऑनलाइन ट्रेडिंग भी देश में अपराध माना जाता है। ऐसा करने वालों को जेल हो सकती है। देश में हवाला का कारोबार धड़ल्ले से चलता है। मनी एक्सचेंज का काम भी इसी से चलता है। तस्करी से अफगानिस्तान जाने वाले अमेरिकी डॉलर का एक्सचेंज भी इसी के जरिए होता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानी में आई 9 फीसदी की तेजी संयुक्त राष्ट्र की तरफ से दी गई सहायता राशि का अहम रोल है। तालिबान का शासन आने के बाद अब तक यूएन ने अफगानिस्तान को 5.8 अरब डॉलर की सहायता दी है। इसके अलावा अफगानिस्तान का प्राकृतिक संसाधन भी करेंसी को मजबूत करने का काम करती है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में करीब 3 ट्रिलियन डॉलर की कीमत का लिथियम का भंडार भी है।