पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गरमा गई है. एक तरफ बीजेपी विपक्षी गठबंधन इंडिया पर हमलावर है तो दूसरी ओर कांग्रेस सेना के जरिए सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है.
कांग्रेस पार्टी ने केंद्र की नई पेंशन पॉलिसी को देश के सैनिकों के साथ विश्वासघात बताया है और इस मुद्दे को चुनाव में लेकर जाने की तैयारी कर रही है.
दरअसल, सरकार ने 21 सितंबर को एक नोटिफिकेशन जारी करके सेवानिवृत होने वाले जवानों को मिलने वाली डिसेबिलिटी एलिमेंट को खत्म कर दिया गया है. ऐसे में अब जवानों को डिसेबिलिटी पेंशन न मिलकर एक मुश्त पैसा मिलेगा जिसे कांग्रेस ने सेना के खिलाफ बताया है.
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इसके अलावा कांग्रेस सेना के वेलफेयर से जुड़े कई मुद्दों को जनता के बीच उठाएगी. कांग्रेस का आरोप है कि मौजूदा मोदी सरकार लगातार देश के सैनिकों के साथ धोखा कर रही है. लंबे आंदोलन के बाद 2019 लागू हुए वन रैंक वन पेंशन में भी सरकार ने विकलांगता पेंशन को टैक्स के दायरे में ला दिया था.
सेना से जुड़े इन मुद्दे को चुनाव में उठाएगी कांग्रेस
1. अग्निपथ योजना को लेकर कांग्रेस लामबंद
इस योजना के तहत भर्ती होने वाले 75 फीसदी जवानों को 4 साल के बाद ही रिटायर कर दिया जाएगा. कांग्रेस का कहना है कि ये दिखाता है कि केंद्र सरकार के पास सैनिकों के लिए पर्याप्त फंड नहीं है. यही नहीं इसकी वजह से नेपाल से आने वाले युवा जो भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट में शामिल होते थे उन पर रोक लग गई. अब यही गोरखा चीन की सेना में भर्ती होने जा रहे. भारत और चीन की सीमा के बीच अब नेपाल से पहले जैसा संबंध नहीं रह जाएगा.
2. वन रैंक वन पेंशन के दूसरे हिस्से को लेकर बवाल
नए ‘ओआरओपी’ के लागू होने के बाद सेवानिवृत्त कनिष्ठ पद पर काम करने वाले सैनिकों और अफसरों को मिलने वाली पेंशन में ‘जमीन और आसमान’ का फर्क हो गया है. सरकार पर आरोप लगा कि सेवानिवृत्त अफसरों को ही लाभ पहुंचाने का काम किया गया है. दरअसल जवानों की संख्या, कुल बल की 97 प्रतिशत है जबकि अधिकारियों 3 फीसदी है, लेकिन जवानों को फायदा कम मिल रहा था. इसके अलावा विधवा पेंशन को लेकर तमाम शिकायतें थी.
कांग्रेस सरकार द्वारा तय समय पर प्रमोशन के आधार पर सैलरी में बढ़ोतरी देने के लिए बनी एनएफयू सिस्टम को वापस लिए जाने का विरोध भी करेगी. इसके साथ-साथ शॉर्ट सर्विस कमीशन के जवानों को मिलने वाली पेंशन और मेडिकल सुविधाओं को बंद करने का मुद्दा भी चुनाव में उठेगा.
5. निजीकरण का मुद्दा
कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का निजीकरण कर रही है. वहीं 150 साल पुराने 62 कैंटोनमेंट बोर्ड को खत्म कर दिया गया. इसके अलावा कांग्रेस भूतपूर्व सैनिकों से जुड़ी मांगों का निपटारा करने के लिए एक आयोग बनाए जाने की मांग भी उठाएगी.
सैनिक प्रकोष्ठ के जरिए देगी संदेश
कांग्रेस जनता के बीच भारतीय सेना को लेकर मोदी सरकार के रवैये को लेकर पूरी तरह से तैयार है. कांग्रेस पार्टी अपने सैनिक प्रकोष्ठ के जरिए से संदेश देगी कि पार्टी देश के सैनिकों, देश की सुरक्षा प्रणाली के साथ खड़ी है. जहां पीएम मोदी अपने लिए आठ हजार करोड़ का हवाई जहाज ले सकते हैं, अपने मित्र पूंजीपतियों के हजारों करोड़ का लोन माफ कर सकते हैं, लेकिन आपके पास देश के सैनिकों के लिए चार हजार करोड़ रुपए नहीं हैं.
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा है कि बीजेपी सरकार सेना विरोधी है ये उनकी नीतियों से जाहिर होता है, इनके राष्ट्रवाद का मुखौटा हट चुका है. पेंशन में कटौती, अग्निवीर योजना जैसी चीजें इसका उदाहरण हैं. कांग्रेस और हमारा पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ चुनावों में इसको बड़ा मुद्दा बनायेगा.