बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना (Cast Based Census) के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए हैं. ताजा आंकड़ों के मुताबिक राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ से थोड़ा ज्यादा (13,07,25,310 ) है.
इसमें पिछड़ा वर्ग के 27.13 प्रतिशत, अति पिछड़ा वर्ग के 36.01 प्रतिशत और सामान्य वर्ग के 15.52 प्रतिशत लोग हैं. बिहार के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद सियासत शुरू हो गई है और राष्ट्रीय स्तर पर भी जातिगत जनगणना की मांग छिड़ गई है.
भारत में कब-कैसे शुरू हुई जनगणना
भारत में साल 1872 में ब्रिटिश हुकूमत ने पहली बार जनगणना की शुरुआत की थी. 1872 से लेकर 1931 तक जितनी जनगणना हुई, उसमें जातिवार आंकड़े भी दर्ज किए गए. आजादी के बाद 1951 में जब पहली जनगणना हुई तो इसमें जातिगत आंकड़ों को सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तक सीमित कर दिया गया.
1961 से नहीं हुई जातिगत जनगणना
इसके बाद साल 1961, 1971, 1981, 1991, 2001 और 2011 में जो भी जनगणना हुई, उसमें भी सरकार ने जातिगत जनगणना से दूरी बनाए रखी. कहा गया कि डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते साल 2011 में जो आखिरी जनगणना हुई थी, उसमें जातिगत आंकड़े भी दर्ज किये गए थे, लेकिन यह डाटा सार्वजनिक नहीं किया गया.
150 साल में पहली बार टली जनगणना
साल 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे टाल दिया गया था. पिछले 150 सालों में ऐसा पहली बार हुआ जब समय पर जनगणना नहीं हो पाई. अब कोरोना महामारी लगभग खत्म हो चुकी है, लेकिन अब तक सरकार जनगणना को लेकर सरकार को फैसला नहीं ले पाई है और न तो कोई टाइमलाइन तय की है.
आखिर संविधान क्या कहता है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 में जनगणना से जुड़ा प्रावधान है, लेकिन इसमें कहीं नहीं कहा गया है कि जनगणना कब और कितने अंतराल पर होगी. न तो जातिगत जनगणना जैसी कोई बात है. सेंसस ऑफ इंडिया एक्ट 1948 में भी जनगणना की अवधि या अंतराल पर कोई गाइडलाइन नहीं है. साल 1872 में जब ब्रिटिश सरकार ने पहली बार जनगणना कराई थी, तब से प्रत्येक 10 वर्ष के बाद या हर दशक की शुरुआत में जनगणना होती रही है.
दुनिया के ज्यादातर देशों में भी 10 साल के अंतराल पर ही जनगणना होती है. ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां 5 साल के अंतराल पर जनगणना होती है.
आखिर कितनी है भारत की जनसंख्या?
चूंकि साल 2021 में जनगणना नहीं हुई ऐसे में देश की कुल आबादी कितनी है, इसका वास्तविक आंकड़ा नहीं है. कुछ महीने पहले ही संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि भारत इस साल के आखिरी तक जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा और सबसे आगे निकल जाएगा. UN पॉपुलेशन फंड ने अनुमान लगाया था कि भारत की कुल जनसंख्या 142.8 करोड़ के आसपास है