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17 साल की आजादी, 600 करोड़ वोटर, जब दावोस में खूब फिसली मोदी की जुबान

दावोस। दावोस में विश्व आर्थिक मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वैश्किव नेता के तौर पर भाषण दिया. 52 मिनट के इस संबोधन में पीएम मोदी ने कई वैश्विक चुनौतियों का जिक्र किया और उनसे पार पाने के रास्ते भी सुझाए. हालांकि भाषण के दौरान कई मौके पर पीएम मोदी की जुबान भी फिसली.

पीएम मोदी ने भारतीय लोकतंत्र की ताकत का जिक्र करते हुए भारत में मतदाताओं की संख्या को गलती से 600 करोड़ बता दिया. उन्होंने कहा, ‘भारत के 600 करोड़ मतदाताओं ने 2014 में 30 साल बाद पहली बार किसी एक राजनीतिक पार्टी को केंद्र में सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत दिया…’ बता दें कि भारत की कुल आबादी करीब 130 करोड़ है जबकि वोटरों की संख्या 80 करोड़ के आस-पास है.

भाषण के दौरान पीएम मोदी ने एक जगह तो दुनिया खत्म करने की बात कह डाली. दरअसल यहां वह दूरियां खत्म करने की बात कर रहे थे, लेकिन उनकी जुबान से दूरियां की जगह दुनिया निकल गया.

भारत की आजादी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ‘भारत की आजादी के 17 साल’ हो गए, लेकिन वो तब 70 साल बोलना चाह रहे थे. भारत में भी मोदी अपने कई भाषणों में ‘आजादी के 70 साल’ का जिक्र करते रहते हैं.

एक और जगह पीएम मोदी रोज मर्रा (दैनिक जीवन में) को ‘रोज मरा’ बोल गए. कई मौके पर पीएम ने गलत बोले गए शब्दों को सही करके दोहराया भी लेकिन कई मौके ऐसे आए जब वो गलत शब्द के साथ ही आगे बढ़ गए.

वैश्विक ताकतों की परवाह किए बगैर पीएम मोदी ने मंच से वो तीन मुद्दे उठाए जिससे कई बड़े देश कठघरे में खड़े हो गए. उन्होंने कहा कि इस वक्त दुनिया के सामने तीन बड़ी चुनौतियां और तीनों चुनौतियां के बारे में पीएम मोदी विस्तार से दुनिया को आगाह किया.

भाषण के दौरान नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और आत्मकेंद्रित होने को तीन सबसे बड़ी वैश्किव चुनौती बताया. मोदी ने कहा कि हर मंच पर भारत आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को आगाह करता है. लेकिन जब गुड टेरिरिस्ट और बैड टेरिरिस्ट की बात होती है तो आतंक के खिलाफ एकजुटता को चोट पहुंचती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत दुनिया के सभी देशों का स्वागत अपने घर में करता है. उन्होंने इसके जरिये भारत में दूसरे देशों को निवेश का न्योता दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि हम छोटे-मोटे सुधार नहीं करते, बल्क‍ि हम आमूलचूल सुधार करने को तवज्जो देते हैं. भारत की अर्थव्यवस्था को जिस प्रकार से निवेश के लिए सुगम बना रहे हैं, उसका कोई सानी नहीं है. आज भारत में निवेश करना, भारत की यात्रा करना और मैन्युफैक्चरिंग करना और भारत से अपने उत्पाद दुनियाभर में एक्सपोर्ट करना पहले की तुलना में बहुत आसान हो गया है.

नरेंद्र मोदी ने अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी में लोगों को संबोधित किया. उन्होंने इस वैश्विक मंच पर ‘नमस्कार’ से अपना संबोधन शुरू किया. इस मंच पर मोदी ने जोरदार तरीके से दुनिया के सामने अपनी बातें रखीं.