जापान में एक सामंत ने चिकित्सकीय उद्देश्यों से वाइन व अफीम का उत्पादन 17 वीं सदी में ही करा लिया था। ऐसा माना जाता है कि 1870 के दशक में बड़े पैमाने पर जापानी वाइन का उत्पादन प्रारम्भ हुआ था। लेकिन असलियत में तो यह इससे 200 साल पहले ही प्रारम्भ हो गया था।बहरहाल, शोधकर्ताओं ने पाया है कि जापान में क्यूस्यू के 17 वीं सदी के सामंत तोडातोशी होसोकवा ने कोकुरा एरिया में 1627 में वाइन का उत्पादन प्रारम्भ कर दिया था। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया है कि सामंत होसोकवा ने अपने जागीरदार तोरोएमन यूडा को अंगूरों से वाइन बनाकर इडो( जापानी राजधानी तोक्यों का पुराना नाम) भेजने का आदेश दिया था।
जापान के कुमामोटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के विस्तृत अध्ययन में यह भी मालूम पड़ा है कि वाइन सिर्फ 1627 से1630 तक बनाई गयी व इडो भेजी गई। उस दौरान वाइन बनाने वाले तारोइमोन की तरक्की भी की गई थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि वाइन बनाने की प्रक्रिया में अंगूर के अतिरिक्त काला सोयाबीन भी मिलाया जाता था।
काला सोयाबीन खमीर को बढ़ावा देता है व ऐसा माना जाता है कि काले सोयाबीन का खमीर अंगूर का खमीर बनाने में मदद करता है, जिसमें अपेक्षाकृत कम मात्रा में चीनी होती है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि होसोकवा परिवार ने 1629 में अफीम का उत्पादन भी किया था। ऐसा माना जाता है कि अफीम को नागासाकी से आयात किया जाता था व इसका प्रयोग चिकित्सकीय उद्देश्यों के लिए किया जाता था।