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15 साल की स्टूडेंट का कन्हैया को चैलेंज, कहा- बोलने की आजादी पर कर लें बहस

jhanviनई दिल्ली। 15 साल की स्टूडेंट जाह्नवी बहल ने देशद्रोही नारेबाजी के आरोपी जेएनयू स्टूडेंट लीडर कन्हैया कुमार को चैलेंज किया है। जाह्नवी का कहना है, “मैं उनसे (कन्हैया कुमार) डिबेट के लिए तैयार हूं। वे बताएं मुझे कहां-कब आना है।
 नरेंद्र मोदी ने सामाजिक कार्यों में पार्टिसिपेशन के लिए जाह्नवी की तारीफ की थी और उसे लेटर लिखा था। जाह्नवी के मुताबिक, ‘मैं कन्हैया जी से कहीं भी, कभी भी बहस करने को तैयार हूं। कन्हैया जी ने पीएम मोदी के लिए जो भी कहा, वो गलत है। उसे किसी भी तरीके से सही नहीं माना जा सकता। घर पर बैठकर बोलना आसान होता है। उन्हें पीएम की तरह काम करने में ध्यान देना चाहिए, न कि भाषण देना चाहिए। बेहतर होता कि वे मोदी के बजाय देश विरोधी नारे लगाने वालों के खिलाफ कुछ बोलते। जाह्नवी लुधियाना की रहने वाली हैं।
शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या बोला था कन्हैया?
मीडिया लोकतंत्र का फोर्थ पिलर है। जेएनयू लोकतंत्र के लिए खड़ा होने वाला संस्थान। जो टैक्स आप देते हैं, उसकी सब्सिडी से हम पढ़ते हैं। जेएनयू में पढ़ने वाला कोई देशद्रोही नहीं हो सकता। मैं मानता हूं कुछ काले बादल हैं। लेकिन काले बादल के बाद बारिश होती है। सूखा खत्म होता है। खुशहाली की बारिश होती है। ये काले बादल लाल सूरज को छिपा नहीं पाए। हम संविधान की हर बात को सच में उतारेंगे। संविधान कहता है- समानता, भाईचारा, लोकतंत्र, समाजवाद। सीमा पर जो जवान लड़ रहा है, जो किसान मर रहा है, उसकी बात की जानी चाहिए। रोहित वेमुला की शहादत बेकार नहीं जाएगी।  राजद्रोह और देशद्रोह में फर्क होता है। जो चेले-चपाटे संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं, हम उनके खिलाफ हैं। संविधान, वीडियो नहीं दस्तावेज है। उसे विद्वानों, किसानों, मजदूरों ने बनाया है। इसे मॉर्फ नहीं किया जा सकता। जेएनयू में सब्सिडी का पैसा सही जगह खर्च होता है। यहां पढ़ने वाले कई स्टूडेंट्स का बैकग्राउंड काफी कमजोर है। हमारा किसी से वैचारिक मतभेद हो सकता है, मनभेद नहीं। कुछ लोग राजद्रोह-देशद्रोह में फर्क नहीं समझे। आरोपी और आरोप सिद्ध में अंतर नहीं समझ सके। जिस तरह से हमारे साथियों के साथ व्यवहार हो रहा है। जिस तरह से वीडियो सामने लाए गए। कुछ कंडोम गणना अधिकारी बन गए।  जेएनयू में 145 देशों के स्टूडेंट पढ़ते हैं। ये सभी समाज में अपना कॉन्ट्रीब्यूशन देते हैं। ये बाबा साहब के सपनों को सच करने का संस्थान है। हम स्पीच के दायरे को समझते हैं। हम फ्रीडम ऑफ स्पीच को भी समझते हैं।  केस से जुड़े सवाल न पूछे जाएं। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। कोई भी जवाब देना कोर्ट की अवमानना होगी। मैं चुनाव लड़ूंगा, किस पार्टी से जुड़ूंगा। ये सवाल भी न पूछें। मैं एक स्टूडेंट हूं, नेता नहीं। मुझे जेएनयू के स्टूडेंट्स ने अपना प्रतिनिधि चुना हूं। अफजल गुरु भारत का नागरिक था जिसे कानून ने सजा दी थी। मेरे लिए अफजल आईकॉन नहीं है। मेरे लिए आईकॉन रोहित वेमुला है।
मेरा काम पढ़ाई करना है। मेरी तरह कई लोग पढ़ाई कर सकें, इसके लिए लड़ाई लड़ना है।
क्या है जेएनयूविवाद?
जेएनयू में 9 फरवरी को लेफ्ट स्टूडेंट्स के ग्रुप्स ने संसद पर हमले के गुनहगार अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के को-फाउंडर मकबूल भट की याद में एक प्रोग्राम ऑर्गनाइज किया था। इसे कल्चरल इवेंट का नाम दिया गया था। साबरमती हॉस्टल के सामने शाम 5 बजे उसी प्रोग्राम में कुछ लोगों ने देश विरोधी नारेबाजी की। इसके बाद लेफ्ट और एबीवीपी स्टूडेंट्स के बीच झड़प हुई। 10 फरवरी को नारेबाजी का वीडियो सामने आया। दिल्ली पुलिस ने 12 फरवरी को देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया।  इसके बाद जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार को अरेस्ट कर लिया गया। जबकि खालिद फरार हो गया था। बाद में पता चला कि वह जेएनयू कैम्पस में ही था। कुछ दिन बाद उसने सरेंडर कर दिया। वह अभी ज्यूडिशियल कस्टडी में है।