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“हिंदुओं से नफरत करती हैं सोनिया गांधी”, प्रणब मुखर्जी की किताब The Coalition Years में हुआ खुलाशा

सोशल मीडिया में काफी समय से कुछ कांस्पीरेसी थ्योरी चल रही है, जिसमे कहा जाता है कि सोनिया गाँधी हिन्दू-विरोधी है, और उन्होंने UPA साशनकाल में हिन्दुओ के खिलाफ काफी गलत काम किये. हालांकि इन बातो को हमेशा ख़ारिज कर दिया गया क्युकी इन बातो का कोई सबूत नहीं होता था. लेकिन इस बात का खुलासा पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब The Coalition Years में भी हुआ है कि सोनिया गांधी के अध्यक्ष रहते कांग्रेस की नीतियां हिंदू विरोधी रही हैं।

यूपीए की सरकार के दौरान ऐसे कई काम किए गए जो सहिष्णु हिंदुओं को आतंकवादी और बलात्कारी बताने की कोशिश की गई। ईसाई मिशनरियों और मुस्लिम कट्टरपंथियों को बढ़ावा देने के लिए हिंदुओं को बार-बार कठघरे में खड़ा किया जाता रहा। सबसे खास यह कि इन कुत्सित कोशिशों की नायिका रहीं हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी।

प्रणब दा ने खुलासा किया है कि किस तरह सोनिया गांधी के नेतृत्व में हिंदुओं को टारगेट कर फंसाया गया है। नवंबर 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ महीनों के भीतर ही दिवाली के मौके पर शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को हत्या के एक केस में गिरफ्तार करवाया गया था। जिस वक्त गिरफ्तारी की गई थी, तब वो 2500 साल से चली आ रही त्रिकाल पूजा की तैयारी कर रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन पर अश्लील सीडी देखने और छेड़खानी जैसे घिनौने आरोप भी लगाए गए थे। हालांकि यह आरोप कभी सिद्ध नहीं हुए. प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब ‘द कोएलिशन इयर्स 1996-2012’ में इस घटना का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि “मैं इस गिरफ्तारी से बहुत नाराज था और कैबिनेट की बैठक में मैंने इस मसले को उठाया भी था। मैंने सवाल पूछा कि क्या देश में धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ हिंदू संत-महात्माओं तक ही सीमित है? क्या किसी राज्य की पुलिस किसी मुस्लिम मौलवी को ईद के मौके पर गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखा सकती है?”

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब ने देश के आगे एक बड़े सवाल को फिर से खड़ा कर दिया है। सवाल ये कि कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी और उन पर लगाए गए बेहूदे आरोपों के पीछे कौन था? अब तक मोटे तौर पर यह माना जाता रहा है कि कांची पीठ के शंकराचार्य को झूठे मामले में फंसाकर गिरफ्तार करवाने की पूरी साजिश उस वक्त मुख्यमंत्री रहीं जयललिता ने अपनी सहेली शशिकला के इशारे पर रची थी। उस वक्त इस सारी घटना के पीछे किसी जमीन सौदे को लेकर हुआ विवाद बताया गया था, लेकिन अब प्रणब दा के खुलासे से साफ हो गया है गिरफ्तारी सिर्फ जयललिता की मर्जी से नहीं, बल्कि सोनिया गांधी के इशारे पर हुई थी। दरअसल ये वो दौर था जब सोनिया और जयललिता के बीच काफी करीबियां थीं।

2004 से 2014 के बीच दस साल तक सोनिया गांधी सत्ता के शीर्ष को हैंडल कर रही थी, तब से ही वह हिंदुओं की धार्मिक-सांस्कृतिक आस्थाओं को कुचलने में लगी थी। शंकराचार्य की गिरफ्तारी सिर्फ भारत के हिंदू समाज के सर्वश्रेष्ठ महात्मा को अपमानित करने के लिए की गई थी। यह स्पष्ट है कि हिंदू धर्म के इतने बड़े संत को गिरफ्तार करके मीडिया में उपहास उड़वाने का काम ईसाई साजिश का ही हिस्सा था।

इसके अलावा यह भी माना जाता रहा है कि वेटिकन के इशारे पे दक्षिण भारत में ईसाई धर्म को बेरोक-टोक फैलाने के लिए कांची के शंकराचार्य को जानबूझकर फंसाया गया था। जिस समय मीनाक्षीपुरम में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की घटनाओं से पूरा हिंदू समाज सकते में था, तब कांची मठ ने सचल मंदिर बनाकर उन्हें दलित बस्तियों में भेजा और कहा कि अगर वो मंदिर तक नहीं आ सकते तो मंदिर उन तक पहुंचेगा। सामाजिक बराबरी के लिए जितनी कोशिश कांची मठ ने की उतनी शायद और किसी हिंदू संस्थान ने नहीं की होगी। यही कारण था कि वो ईसाई मिशनरियों को खटक रहे थे। उनकी गिरफ्तारी आंध्र प्रदेश से की गई थी, जहां पर कांग्रेस की सरकार थी। गिरफ्तारी के बाद उन्हें तमिलनाडु की वेल्लोर जेल में रखा गया। जहां उनके साथ टॉर्चर भी किया गया।