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हथी से गिरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी अब पंजे में झूलेंगे

लखनऊ। अगर कोई खास अडचन नहीं आई, तो बसपा सुप्रीमो मायावती का दाहिना हाथ रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी अपने समर्थकों के साथ कल कांग्रेस में शामिल हो जायेंगे। इस अवसर पर खुद राहुल गांधी मोजूद रहेंगे। इसके लिये उनकी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से वार्ता हो चुकी है। एक समय था जब इन्हीं नसमुद्दीन सिद्दीकी की बसपा में तूती बोलती रही है।

कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसारए राहुल की नसीमुद्दीन से पहली मुलाकात 28 दिसंबर को गुजरात चुनाव के नतीजे आने के बाद हुई। जनवरी मध्य में एक और मुलाकात में बात आगे बढ़ी। इस बीच राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर ने जमीनी स्तर की पूरी तैयारी कर ली।

पता चला है कि नसीमुद्दीन के साथ बसपा सरकार में रहे तीन पूर्व मंत्री, चार पूर्व सांसदए लगभग तीन से चार दर्जन पूर्व विधायकए विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ चुके उम्मीदवारों के भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। उल्लेखनीय है कि बसपा के उत्तराखंडए मध्य प्रदेशए बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी के प्रभारी रह चुके नसीमुद्दीन प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। पिछले वर्ष 10 मई को मायावती ने पैसों के लेन.देन में गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। मायावती का आरोप था कि पश्चिमी यूपी के प्रभारी रहते सिद्दीकी ने उम्मीदवारों से पैसे लिए थे लेकिन उन्हें पार्टी के कोष में जमा नहीं किया।

इसके ठीक विपरीत नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने और विधानसभा चुनाव में केवल 19 सीटें जीत पाने का ठीकरा मायावती ने उनके सिर फोड़ दिया। वे मायावती की ब्लैकमेलिंग और लगातार पैसों की मांग से आजिज़ आ गए थे  राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, बसपा सुप्रीमो मायावती के व्यवहार से मर्माहत होकर नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने पहले तो अपने समर्थकों के साथ एक नयी पार्टी बनााने का मन बनाया था। लेकिन, बाद

में कुछ सोचकर उन्होंने सपा में शामिल होने का इरादा बनाया। लेकिन, यह इसलिये नहीं संभव हो सका कि इन्हें लेकर सपा में काफी विरोध शुरू हो गया था। दूसरी बात मो0 आजम खान अपने रहते  इन्हें कभी भी बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। इस स्थिति में नसीमुद्दीन ताड से गिरा और खजूर में अटका जैसे हालात से बचना चाहते थे। इसलिये गुजरात का चुनाव हो जाने के बाद यह राहुल गांधी से मिले थे। इसी के बाद कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया।

इसके पहले इन्होंने राहुल गांधी से अपने समर्थकों को शामिल करने और उन्हें यथासंभव अधिक सेेेे अधिक चुनावी टिकट देने के बारे में भी खुलकर बातें की थी। कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि इनके आने से सपा के रिश्ते में कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडेगा।