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स्वदेशी मिसाइल ‘अस्त्र’ जल्द वायुसेना में होगा शामिल

नई दिल्ली। स्वदेशी मिसाइल अस्त्र को जल्द ही एयर फोर्स में शामिल किया जा सकता है। इसका फाइनल डिवेलपमेंट ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। भारत का यह मिसाइल कार्यक्रम सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यक्रमों में एक माना जाता रहा है। अस्त्र, बियॉन्ड विजुअल रेंज एयर टु एयर मिसाइल है। समझा जाता है कि यह 40 से 60 किलोमीटर की दूरी पर टारगेट तबाह कर सकता है। इसके अलावा सेना को बारूदी सुरंग से बचाने के लिए भी एक सिस्टम तैयार किया गया है।

अस्त्र से जुड़े प्रॉजेक्ट को साल 2004 में मंजूरी मिली थी। सरकार की ओर से बताया गया है कि 11 से 14 सितंबर के बीच बंगाल की खाड़ी में चांदीपुर तट पर इसका डिवेलपमेंट फ्लाइट ट्रायल किया गया, जो बिना पायलट वाले टारगेट विमान के खिलाफ था।

एक साथ कई टारगेट को तबाह करने के लिए कई मिसाइलों को एक साथ छोड़ा गया। बताया गया है कि सभी सिस्टम ने सफलतापूर्वक काम किया। रक्षा संगठन डीआरडीओ इस तरह के अत्याधुनिक मिसाइल बनाने के लिए वायुसेना के साथ काम कर रहा है। इसमें 50 से ज्यादा पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर कंपनियों की भागीदारी भी है।

बारूदी सुरंग से बेपरवाह रहेगी सेना
युद्धग्रस्त इलाके में भारतीय सेना किसी बारूदी सुरंग का शिकार होने से बच सके, इसके लिए रक्षा संगठन डीआरडीओ ने स्वदेशी ट्रॉल सिस्टम बनाया है। यह सिस्टम बारूदी सुरंगों को भेदकर सेना के वाहनों के लिए सुरक्षित लेन तैयार करता है। डीआरडीओ के बनाए इस सिस्टम के नीचे कई बार ब्लास्ट के जरिये हाल में टेस्ट किया गया, जिसमें सिस्टम खुद को बचाने में कामयाब रहा। जल्द ही यह सिस्टम सेना को ट्रायल के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।