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सरकार विरोधी कार्यो को बढ़ावा देकर मीडिया में बने रहना चाहते है,प्रमुख विपक्षी दल

लखनऊ। आजकल देश मे राजनीति करने का अंदाज़,नेताओ का चाल चलन और देश हित की भावनाओ को छोड़कर ऐसा कुछ कर गुजरने का होता है कि उसी समय से मीडिया की सुर्खियों में छा जाए।EVM पर उगली उठाना हो,नोटबन्दी हो,पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक हो,जेएनयू में देश विरोधी नारे,कश्मीर में सेना का साहसिक कार्य,गौ हत्या,सहारनपुर का जातीय दंगा हो या फिर किसान आंदोलन किसी भी स्थिति को बिगाड़ने में हाशिये पर आई राजनीतिक पार्टियां आग में घी डालने से कभी परहेज नही करती।

भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय हो जाने  तथा केंद्र और अनेक राज्यो में भाजपा की सरकार बन जाने से उतावले और हताश राजनीतिक दलों के नेता खामोश कैसे रह सकते है। देश के मतदाताओं का रुख देखकर इन नेताओं को  आभास हो गया है कि आगामी 20-25 वर्ष तंक भाजपा से सत्ता वापस मिलनी मुश्किल ही नही नामुमकिन भी  है। सत्ता का सुख भोग  चुकी राजनीतिक पार्टियां का तो व्याकुल होना स्वाभाविक है परंतु चिंता उस समय अधिक बढ़ जाती है जब भ्रस्टाचार के मुद्दे को लेकर सत्ता में आने वाले नेता स्वम भ्रस्टाचार में लिप्त होने के बाद राष्ट्रस्तर के सपने देखने लगते है।

देश की कोई घटना हो,देश हित की या किसी आंदोलन की,सबसे पहले आग लगाकर उसमे रोटियां सेंकने का काम प्रमुख विपक्षी पार्टियों द्वारा शुरू कर दिया जाता है।इसलिए नही की पीड़ित को लाभ हो या देश का हित हो बल्कि इसलिए कि मीडिया में यह लोग अपनी छवि बनाये रहे और सत्ताधारी दल को बदनाम करने का मौका मिलता रहे।

जातीय आधार पर राजनीति करने वाली पार्टी ने सहारनपुर जाकर वहां लगी आग को हवा देने का काम किया पर फंडिंग के आरोप में नाम आते ही ऐसे चुप होकर बैठ गई कि किसान आंदोलन पर एक शब्द भी बोलते नही बनता। क्या मरने वाले किसान उनकी जाति या पार्टी के नही थे?

मंदसौर में आरोपी कांग्रेस नेताओ के विरुद्ध तो कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है i स्पस्ट है कि देश पर लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी भी इससे अछूती नही रही।सहारनपुर हो या मंदसौर दंगा भड़काने का काम उनके नेताओ द्वारा खुले आम किया जाता है। बांस को गन्ना, आम को फैक्ट्री में बनने तथा गन्ने में गुड़ लगने वाले नेताओं को प्रधान मंत्री बनाने का ख़्वाब दिखाकर पार्टी के नेता एक ओर जहाँ पार्टी का शोषण कर रहे है वही दूसरी ओर प्रधान मंत्री पद के दावेदार को चोरी छुपे साइकिल मोटर साइकिल या पैदल प्रतिबंधित क्षेत्रो में घुसेड़कर दंगे को भड़काने का काम कर रहे है।इनकी देखा देखी भ्रस्टाचार में लिप्त पार्टिया भी पाँच सदस्यीय टीम बनाकर घटनास्थाक के मुआयने के लिए भेजने लगी है।इस दल के सदस्य भी भ्रस्टाचार के आरोपो में लिप्त बताए गए है।

मीडिया में बने रहने के लिए पार्टिया देश को नरक में भी ढकेलने से परहेज़ करती दिखाई नही दे रही है।अब जनता को ही यह मांग उठानी पड़ेगी कि सभी हिंसक कार्यवाहियी की गहन जांच सीबीआई जैसे संगठन से कराई जाए ताकि देश द्रोहियो का चेहरा सामने आ सके।